शनिदेव (Shani Dev) को न्याय प्रिय देवता माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिदेव सभी को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। अच्छे कर्म करने वालों को शनि देव की कृपा बनी रहती है। इसके विपरीत बुरे कर्म करने वालों को शनिदेव दंड देते हैं। शनि की कुदृष्टि के दौरान जातक को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हिंदू धर्म में हर साल ज्येष्ठ मास (Jyeshtha month) की अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti) मनाते हैं। इस साल यह तिथि 10 जून को पड़ रही है। इस दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय बताए गए हैं। जिन्हें अपनाकर शनि के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है।
शनि जयंती शुभ मुहूर्त-
अमावस्या तिथि 09 जून को दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू होगी और 10 जून को शाम 04 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी।
शनि जयंती के दिन बन रहे दो शुभ योग-
इस साल शनि जयंती के दिन शूल व धृति योग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में शूल व धृति योग को शुभ माना जाता है। इस दौरान शुभ व मांगलिक कार्य किए जाते हैं। इन योग में किए गए कार्यों में सफलता मिलने की मान्यता है।
शनि जयंती के दिन सूर्यग्रहण–
शनि जयंती के दिन साल का पहला सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) लगेगा। हालांकि भारत में ये पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा, जिसके कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा।
शनि की साढ़े साती से बचाव के उपाय-
शनि दोष से पीड़ित राशि वालों को हर शनिवार शनिदेव के मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’ का जाप करना चाहिए। शनिवार को सुबह स्नान आदि करके पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाना शुभ माना जाता है। प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र या ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप और सुंदरकाण्ड (Sunderkand) का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन व्रत रखना चाहिए। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी की भी पूजा (prayer) करनी चाहिए। बुजुर्गों का सम्मान और गरीबों की मदद करने से भी शनिदेव की कृपा होती है।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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