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इस दिन है कामिका एकादशी, भगवान विष्‍णु की इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, मनोकमनाएं होंगी पूरी

July 30, 2021

सावन यानि श्रावण का महीना 25 जुलाई से चल रहा है। भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा के लिए सावन मास का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है। हर मास की तरह सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाले एकादशी की तिथि को कामिका एकादशी कहते हैं। यह सावन मास (Sawan month) की पहली एकादशी है। मान्यता है की कामिका एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है।

धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूजा के दौरान पीले वस्त्र, पीले कपड़ों से ढकी चौकी, पीले फूल और यथा संभव पीले रंग की ही पूजन (worship) सामग्री के इस्तेमाल से भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करने वरदान देते हैं। इस लिए कामिका एकादशी व्रत में पीले रंग का विशेष महत्व होता है।

कामिका एकादशी व्रत मुहूर्त (Kamika Ekadashi 2021 Puja Muhurat)
कामिका एकादशी व्रत- 04 अगस्त 2021
एकादशी तिथि का प्रारम्भ – 03 अगस्त 2021 को शाम 12 बजकर 59 मिनट से।
एकादशी तिथि का समापन- 04 अगस्त 2021 को शाम 03 बजकर 17 मिनट।
कामिका एकादशी 2021 पारण मुहूर्त (Kamika Ekadashi 2021 Parana Time)

कामिका एकादशी व्रत (kamika ekadashi fasting) का पारण द्वादशी तिथि में किया जाएगा। द्वादशी तिथि 05 अगस्त 2021, गुरुवार को है। पंचांग के अनुसार कामिका एकादशी व्रत का पारण 05 अगस्त 2021 को प्रात: 05 बजकर 45 मिनट से सुबह 08 बजकर 26 मिनट के मध्य कर सकते हैं। पारण के बाद दान आदि का कार्य भी करना चाहिए।



कामिका एकादशी व्रत विधि
सुबह जल्दी उठें। शौचादि से निवृत्त होकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु जी की प्रतिमा को गंगा जल से नहलाएं। अब दीपक जलाकर उनका स्मरण करें और भगवान विष्णु की पूजा में उनकी स्तुति करें। पूजा में तुलसी के पत्तों का भी प्रयोग करें तथा पूजा के अंत में विष्णु आरती करें। शाम को भी भगवान विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाकर उनकी आराधना करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। द्वादशी के समय शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त के समय व्रत खोलें। लोगों में प्रसाद बांटें और ब्राह्मणों को भोजन कर कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दें।

कामिका एकादशी व्रत कथा
माना जाता है की कामिका एकादशी का व्रत रखकर भगवान् विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाये। पूजा के दौरान आसन पर बैठकर ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप किया जाये। तदोपरांत व्रत कथा का पाठ किया जाये तभी व्रत का पूरा फल मिलता है।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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