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    इस दिन है पौष माह की कालाष्टमी, पूजा में करें ये काम, काल भैरव की होगी कृपा

  • December 10, 2022

    नई दिल्ली। कालाष्टमी (Kalashtami ) के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के स्वरूप काल भैरव की पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन काल भैरव के साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती है. कालभैरव भगवान शिव के रौद्र रूप कहलाते हैं. इसके अलावा, देश के कई हिस्सों में इस दिन मां दुर्गा की पूजा का भी विधान भी है. इस बार कालाष्टमी 16 दिसंबर 2022, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. कालाष्टमी को काल भैरव जयंती या सिर्फ भैरव जयंती (Bhairav Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है.

    कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2022 Shubh Muhurat)
    हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह की कालाष्टमी कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाएगी. कालाष्टमी की शुरुआत 16 दिसंबर 2022 को सुबह 01 बजकर 39 मिनट पर होगी और इसका समापन 17 दिसंबर को सुबह 03 बजकर 02 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, कालाष्टमी 16 दिसंबर को ही मनाई जाएगी.

    कालाष्टमी का महत्व (Kalashtami 2022 Significance)
    काल-भैरव भगवान शिव का ही एक रूप हैं, ऐसे में कहा जाता है कि जो कोई भी इस दिन सच्ची भक्ति से कालभैरव की पूजा करता है, भगवान शिव उसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.


    कालाष्टमी पूजन विधि (Kalashtami 2022 Pujan Vidhi)
    इस दिन सबसे पहले सुबह सूर्योदय (sunrise) से पहले उठकर स्नान करें, साफ कपड़े धारण करें. उसके बाद भैरव देव की पूजा करें. कालाष्टमी के दिन भैरव देव के साथ काले कुत्ते की भी पूजा का विधान बताया गया है. पूजा के बाद काल भैरव की कथा सुनने से भी लाभ प्राप्त होता है. इस दिन खासतौर से काल भैरव के मंत्र “ऊं काल भैरवाय नमः” का जाप करना फलदायी माना जाता है. इस दिन गरीबों को अन्न और वस्त्र दान करने से पुण्य मिलता है. इसके अलावा कालाष्टमी के दिन मंदिर में जाकर कालभैरव के सामने तेल का एक दीपक ज़रूर जलाएं.

    कालाष्टमी के दिन भूलकर न करें ये काम (Kalashtami 2022 Dos and Donts)
    1. काल भैरव जयंती या कालाष्टमी के दिन जितना हो सके, झूठ बोलने से बचें.
    2. इस दिन झूठ बोलने से आपको भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.
    3. काल भैरव की पूजा कभी भी किसी के नुकसान के मकसद से ना करें.
    4. अपने माता-पिता और गुरुओं को अपमानित ना करें.
    5. काल भैरव की पूजा कभी भी अकेले नहीं करनी चाहिए इस दिन पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती को अवश्य शामिल करें.
    6. गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव के तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए.
    7. कुत्तों को मारें नहीं बल्कि जितना हो सके, उन्हें भोजन कराएं.

    नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इस पर किसी भी प्रकार का दावा नही करतें हैं ।

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