हिंदू धर्म में धार्मिक त्यौहार व व्रत का विशेष महत्व है । इस समय सावन का महीना चल रहा है । सावन में कई व्रत-त्योहार आते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन को पूजा-पाठ और व्रत के लिए सबसे उत्तम मास माना जाता है। इस महीने भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना की जाती है। कहा जाता है कि सावन मास में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व होता है। ऐसे में हरियाली तीज (Hariyali Teej) का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इस साल हरियाली तीज 11 अगस्त को पड़ रही है। जानिए व्रत का महत्व और पूजन विधि-
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, तृतीया तिथि 10 अगस्त 2021 को शाम 6 बजकर 3 मिनट से शुरू होकर 11 अगस्त 2021 को शाम 5 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। पूजा का पहला मुहूर्त सुबह 4 बजकर 24 मिनट से 5 बजकर 17 मिनट तक और दूसरा दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से 3 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा सुबह 10 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर रात तक रहेगा।
हरियाली तीज का महत्व-
हरियाली तीज व्रत सुहागिनों (honeymooners) के लिए बहुत खास होता है। इस दिन भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है। पूजा में मां गौरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करने के बाद हरियाली तीज व्रत कथा का सुनी जाती है। हरियाली तीज को हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता है। ये व्रत बेहद लाभकारी और शुभफलदायी माना जाता है।
हरियाली तीज पूजा विधि-
आज के दिन सभी सुहागन स्त्रियां स्नान आदि से निवृत होकर मायके से आए हुए कपड़े पहनती हैं। आज के दिन सबसे पहले पूजा के शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता पार्वती के साथ भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद मां पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री, साड़ी, अक्षत्, धूप, दीप, गंधक आदि अर्पित करें।
अब शिव जी को भांग, धतूरा, अक्षत्, बेल पत्र, श्वेत फूल, गंधक, धूप, वस्त्र आदि चढ़ाएं। इसके बाद अब गणेश जी की पूजा करते हुए हरियाली तीज की कथा सुनें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों (astrologers), धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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