नई दिल्ली: विदेशी निवेशकों का भारत पर भरोसा कायम है. अमेरिका-इंग्लैंड को पछाड़ कर अब नया देश भारत में जमकर निवेश कर रहा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश अमेरिका या इंग्लैंड से नहीं बल्कि सिंगापुर से आ रहा है. भारत को बीते वित्त वर्ष 2023-24 में सिंगापुर से सबसे ज्यादा एफडीआई मिला है.
हालांकि, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच देश में विदेशी निवेश के प्रवाह में 3.5 प्रतिशत की गिरावट आई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 में सिंगापुर से एफडीआई प्रवाह 31.55 प्रतिशत घटकर 11.77 अरब डॉलर पर आ गया है, लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने सिंगापुर से सबसे ज्यादा निवेश आकर्षित किया है.
पिछले वित्त वर्ष के दौरान मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), केमैन आइलैंड, जर्मनी और साइप्रस सहित प्रमुख देशों से एफडीआई इक्विटी प्रवाह में कमी आई. वहीं, नीदरलैंड और जापान से निवेश बढ़ा है. वित्त वर्ष 2018-19 से सिंगापुर, भारत के लिए ऐसे निवेश का सबसे बड़ा स्रोत रहा था. 2017-18 में भारत ने मॉरीशस से सबसे ज्यादा एफडीआई आकर्षित किया था.
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत-मॉरीशस कर संधि में संशोधन के बाद सिंगापुर, भारत में निवेश के लिए पसंदीदा क्षेत्र के रूप में उभरा है. डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार के मुताबिक, दुनिया के प्रमुख वित्तीय केंद्रों में से एक के रूप में सिंगापुर उन वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करता है जो एशिया में निवेश करना चाहते हैं.
हाल ही में रीट विनियम 2014 में संशोधन जैसी भारत की पहल ने सिंगापुर स्थित निवेशकों के लिए नए अवसर पैदा किए हैं. यही कारण है कि भारत को सिंगापुर से ऊंचा एफडीआई मिल सकता है. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि 2024-25 के उत्तरार्ध में भारत में एफडीआई में तेजी आएगी.
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