नई दिल्ली: महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के प्राइवेटाइजेशन को लेकर सरकार ने अपना रुख साफ कर दिया है. सरकार ने शुक्रवार को संसद में बताया कि MTNLके निजीकरण की कोई योजना नहीं है. पिछले पांच वित्त वर्षों से MTNL लगातार घाटे में चल रही है. इसके बाद से अटकलें लगाई जा रही थीं कि सरकार इसका निजीकरण कर सकती है. लेकिन संसद में संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान (Devusinh Chauhan) ने कहा कि सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है. MTNL को 2016-17 से घाटा हो रहा है. वर्ष 2021-22 में इसका घाटा 2,617 करोड़ रुपये था.
सफल नहीं हो पाई थी सरकार की योजना
एक लिखित जवाब में संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने राज्यसभा में कहा कि MTNL के निजीकरण की कोई योजना नहीं है. सरकार ने अक्टूबर 2019 में भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और MTNL के रिवाइवल की योजना को मंजूरी दी थी. इसके तहत दोनों टेलीकॉम कॉर्पोरेशन के मर्जर की मंजूरी दी गई थी. लेकिन MTNL के अधिक कर्ज और BSNL की प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के कारण ये योजना आगे नहीं बढ़ सकी. दिसंबर 2020 में सरकार ने MTNL के कर्ज की स्थिति में सुधार होने तक मर्जर को टाल दिया.
4G उपकरणों का परीक्षण
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि कैबिनेट ने 14 जून 2022 को हुई अपनी बैठक में 5G सेवाएं प्रदान करने के लिए BSNL के लिए स्पेक्ट्रम रिजर्व किया था. चौहान ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत देश में बने 4G उपकरणों का परीक्षण पहले से ही एडवांस स्टेज में है. परीक्षण पूरा होने के बाद उपकरणों की डिलीवरी शुरू हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इस उपकरण को लगाने और चालू करने के बाद लोगों को लाभ मिलना शुरू हो जाएगा.
कितना है टेलीकॉम कंपनियों का बकाया
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइड करने वाली प्रमुख कंपनियों के बकाया लाइसेंस शुल्क के बारे में बताया. मंत्री के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 तक कुल लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क का बकाया लगभग 1,62,654.4 करोड़ रुपये था. इसमें से वित्त वर्ष 2018-19 तक भारती समूह का लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क बकाया लगभग 29,856 करोड़ रुपये था, जबकि वोडाफोन आइडिया का 59,236.8 करोड़ रुपये था. रिलायंस जियो इंफोकॉम का लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क बकाया 406.4 करोड़ रुपये था.
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