रवीन्द्र जैन
भोपाल। मप्र का राजनीतिक माहौल आपसी सद्भाव और समन्वय का रहा है। कुछ अपवादों को छोड़कर यहां सभी दलों के राजनेता आपस में पारिवारिक संबंध रखते हैं। लेकिन इस उपचुनाव ने राजनैतिक कटुता की कई सीमाएं लांघ दी हैं। इस उपचुनाव को अपशब्दों और गाली-गलौज के लिए लंबे समय तक याद किया जाएगा। नेता स्वयं को टाइगर बताते -बताते अब कुत्ता बताने लगे हैं। खास बात यह है कि चुनाव आयोग को बिहार से ज्यादा चुनावी शिकायतें मप्र के 28 विधानसभा क्षेत्रों से मिली हैं। यह भी सही है कि सभी शिकायतें प्रमाणों और सबूतों के साथ होने से आयोग को सख्त फैसले भी करने पड़े।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद से ही शब्दों का ऐसा दुरुपयोग शुरु हुआ कि चुनाव आते-आते यह गाली-गलौज में तब्दील हो गया। भोपाल में सिंधिया के स्वागत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें विभीषण बताया था। जबकि सिंधिया ने स्वयं को टाईगर घोषित कर दिया। उपचुनाव के दौरान जब उन्हें गद्दार कहा गया तो उन्होंने पोहरी में स्वयं को काला कौआ बता दिया। अशोकनगर विधानसभा में सिंधिया ने स्वयं को कुत्ता तक बता दिया। यानि भाजपा में विभीषण से शुरू होकर सिंधिया जी कुत्ते तक पहुंच गए हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा ने रविवार को ट्वीट करके शेर की ड्रेस पहने कुत्ते का एक वीडियो डालकर लिखा है पहचान कौन है?
उपचुनाव में भाजपा ने कमलनाथ का जैकलीन के साथ फोटो डालकर उन्हें कमरनाथ तक कह दिया। कांग्रेस के नेताओं ने शिवराज सिंह चौहान को भूखा-नंगा बताया तो भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा बना डाला। कमलनाथ ने शिवराज पर फर्जी नारियल फोडऩे के आरोप लगाए तो शिवराज ने भी जवाब में कहा कि नारियल लेकर चलता हूं सेंपेन की बोतल तो नहीं। डबरा और अनूपपुर में चुनाव और भी जहरीला हो गया। जहां कमलनाथ ने कांग्रेस प्रत्याशी को आइटम कह डाला, बदले में भाजपा प्रत्याशी इमरती ने कहा कि कमलनाथ की मां-बहन होंगी आइटम। इमरती ने कमलनाथ को शराबी-कबाड़ी कहने से भी परहेज नहीं किया। अनूपपुर में भाजपा प्रत्याशी बिसाहूलाल सिंह का नाम बदलकर बिकाऊलाल सिंह किया तो उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी की पत्नी को रखेल कह डाला। चुनाव में भाजपा ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी को चुन्नू-मुन्नू की जोड़ी कह कर प्रचारित किया। ग्वालियर चंबल संभाग में अभी तक भाजपा सिंधिया को भू-माफिया बताती थीं इस उपचुनाव में कांग्रेस ने सिंधिया को भू-माफिया सिद्ध करने के लिए केके मिश्रा के नेतृत्व में चार महीने एक वार रूम तक संचालित किया।
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