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    भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में हुई ये बड़ी प्रगति, बढ़ेगी सेना की ताकत

  • August 31, 2023

    नई दिल्ली: भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग (India-US Defense Cooperation) में एक बड़ी प्रगति हुई है. अमेरिकी संसद (यूएस कांग्रेस) ने भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के लिए लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए एक समझौते के मंजूरी दे दी है. यह समझौता भारत की सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और अमेरिकी जीई एयरोस्पेस के बीच का है.

    जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच यह समझौता हुआ था. अब अमेरिकी कांग्रेस ने भारत के साथ जीई जेट इंजन समझौते को आगे बढ़ाने के लिए बाइडेन प्रशासन को अपनी मंजूरी दे दी है. इससे समझौते के कार्यान्वयन का रास्ता साफ हो गया है. इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच लड़ाकू जेट इंजन के निर्माण के लिए अभूतपूर्व रूप से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, भारत में जेट इंजन का निर्माण और लाइसेंस की व्यवस्था होगी.

    इस समझौते के तहत जीई एयरोस्पेस F414 फाइटर जेट इंजन के भारत में निर्माण के लिए अपनी 80 प्रतिशत तकनीक भारत को हस्तांतरित करेगा. इसका उद्देश्य हल्के लड़ाकू विमान (Light Combat Aircraft, LCA)एमके2 (MKII) की क्षमता को बढ़ाना है. एमके2 अभी निर्माणाधीन है. इस समझौते में वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान एमके2 प्रोग्राम के तहत भारत में जीई एयरोस्पेस के F414 इंजनों का संयुक्त उत्पादन शामिल है.


    HAL के प्रमुख सीबी अनंतकृष्णन इस साझेदारी को गेम चेंजर मानते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे आने वाले समय में स्वदेशी इंजनों के लिए आधार बन रहा है जो सैन्य लड़ाकू जेट को मजबूती देगा. भारत-अमेरिका के बीच समझौते में 99 जेट इंजनों का मिलकर निर्माण करना भी शामिल है. अमेरिका से तकनीक हस्तांतरण के कारण इस उत्पादन की लागत कम होने वाली है. जीई एयरोस्पेस का F414 इंजन का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है और यह अपनी विश्वसनीयता के लिए जाना जाता है.

    जीई एयरोस्पेस चार दशकों से अधिक समय से भारत में काम कर रहा है. इस समझौते से उसे इंजन, एवियोनिक्स, सर्विस, इंजीनियरिंग, विनिर्माण और स्थानीय सोर्सिंग सहित भारत में अपनी सुविधाओं को बढ़ाने में आसानी होगी. अमेरिका कांग्रेस के घटनाक्रम से परिचित एक सूत्र ने कहा, ‘संसद की तरफ से समझौते को मंजूरी मिल गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले ही इस समझौते को मंजूरी दे दी गई थी. लेकिन, प्रक्रिया के अनुसार, विदेश मंत्रालय ने 28 जुलाई को सदन और सीनेट की विदेश संबंध समिति को इसकी सूचना दी. अगर अधिसूचना के 30 दिनों तक कोई कांग्रेसी प्रतिनिधि या सीनेटर आपत्ति नहीं करता है, तो इसे सबकी सहमति माना जाता है. कोई आपत्ति नहीं हुई तो प्रशासन आगे का काम करता है.’

    उम्मीद है कि अमेरिकी राष्ट्रपति सितंबर में जब जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आएंगे तब दोनों देश समझौते को आगे बढ़ाने के लिए चर्चा कर सकते हैं. भारत के लिए यह सौदा बेहद ही अहम क्योंकि अमेरिका ने अब तक अपने निकटतम सहयोगियों के साथ भी ऐसी तकनीक साझा नहीं की है. वहीं, भारत जेट इंजन तकनीक में काफी पीछे है लेकिन इस एक समझौते से जेट इंजन निर्माण में भारत को मजबूती मिलेगी और भारत की हवाई क्षमता बढ़ेगी. चीन के साथ बढ़ते सीमा तनाव के बीच भारत के लिए यह समझौता बेहद अहम माना जा रहा है. समझौते के तहत 80% तकनीक हस्तांतरण शामिल है जिसका मूल्य 1 अरब डॉलर होने का अनुमान है.

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