नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) अपने परिचालन के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (electric vehicles) को शामिल करने पर विचार कर रही है. इसके जरिए कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) को कम करने और जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) पर निर्भरता को कम करने की कोशिश है. बताया जा रहा है कि सैनिकों (soldiers) की जरूरतों के लिए हल्के वाहनों, बसों और मोटरसाइकिलों (Vehicles, buses and motorcycles) को शामिल किया जाएगा. मामले से परिचित अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. अधिकारी ने बताया कि सेना की रोजगार क्षमता, रोजगार के दूरस्थ स्थानों और परिचालन प्रतिबद्धताओं की पूर्ति के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल को शामिल करने के लिए एक रोडमैप तैयार की गई है.
अधिकारी ने बताया कि इससे सैनिकों के लिए इस्तेमाल की जा रही लगभग 25% हल्के वाहनों, 38% बसों और 48% मोटरसाइकिलों को बदला जाएगा. इसके लिए पर्याप्त चार्जिंग की सुविधा भी तैयार की जाएगी. अधिकारी ने बताया कि यह सेना की जरूरतों और विभिन्न इलाकों में इलेक्ट्रिक वाहनों की रोजगार क्षमता के अनुरूप किया जा रहा है. अधिकारी ने बताया कि फिलहाल सोलर पैनल से चलने वाले चार्जिंग स्टेशन पर काम चल रहा है, जबकि कई कार्यालयों और पार्किंग में चार्जिंग प्वाइंट स्थापित कर लिए गए हैं.
प्रति स्टेशन ईवी की अनुमानित संख्या के आधार पर पर्याप्त क्षमता वाले ट्रांसफॉर्मर भी लगाए गए हैं. अधिकारी के मुताबिक 60 ईवी बसों के टेंडर जल्द ही निकाले जाएंगे. इनके अलावा 24 फास्ट चार्जिंग प्वाइंट के लिए भी टेंडर जारी किए जाएंगे. इतना ही नहीं सेना, इसके बाद भी ईवी को शामिल करती रहेगी और धीरे-धीरे कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम किया जाएगा, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद साबित होगा.
अधिकारियों ने कहा कि सरकार की हाइब्रिड और ईवी (फेम) I और II (इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए) के तेजी से अपनाने और निर्माण की नीति ने देश में ईवी इकोसिस्टम को बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे के डेवलपमेंट को बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा कि सेना ने अपने वाहनों के संचालन के अलावा नागरिक किराए के परिवहन के हिस्से के रूप में ईवी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. सेना जरूरतों को पूरा करने के लिए सिविल व्हीकल्स को किराए पर लेती है.
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