बीजिंग । चीन घरेलू स्तर पर औद्योगिक और खाद्य संकट से बुरी तरह घिर गया है। 1962 की स्थिति से तुलना करें तो उस समय भी ऐसी ही परिस्थितियां बनी थीं, जब चीन ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ा था। यह बात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों से स्पष्ट हो जाती है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीते कुछ सप्ताह में दो अभियान शुरू किए हैं, जिनमें एक घरेलू खपत बढ़ाने से जुड़ा है तो दूसरा ‘क्लीन प्लेट ड्राइव’ है। घरेलू खपत बढ़ाने के अभियान से साफ है कि चीन की अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है। वहीं दूसरा अभियान बताता है कि देश खाद्य संकट से जूझ रहा है।
यहां एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह वह समय है जब शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के कारण खजाने से बहुत अधिक धनराशि निकलने से कम्युनिस्ट पार्टी में मामला गरमाया हुआ है। जिनपिंग ने भी अपने विरोधियों को माओत्से तुंग के ग्रेट लीप फारवर्ड कार्यक्रम के समय दिए गए जवाब की ही तरह बेरहमी से जवाब दिया है। माओ ने अपना महत्वाकांक्षी कार्यक्रम 1958 में शुरू किया था। जिसका लक्ष्य 15 सालों में ब्रिटेन के औद्योगिक उत्पादन को मात देना और चीन में अनाज क्रांति लाना था। अनुमान है कि 1962 के युद्ध के चलते 2-3 सालों में ही चीन में भूख से 4 से 5 करोड़ लोगों की मौत हो गई। माओ ने जिस तरह से अपने विचार का विरोध करने वालों को ‘शुद्ध’ किया, उसी तरह से शी जिनपिंग ने भ्रष्टाचार से लड़ाई के नाम पर अपने विरोधियों को निपटा दिया।
एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में औसत प्रति व्यक्ति खपत में करीब छह फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। सरकारी खरीद के साथ ही कुल खुदरा बिक्री में 11.5 फीसद की गिरावट दर्ज है। शी जिनपिंग के लिए यह चिंताजनक है कि वह चीन विरोधी रुख को अपनी निर्यातोन्मुख अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती के रूप में देखते हैं। रिपोर्ट का कहना है कि एक औसत चीनी कम खर्च कर रहा है और रोजगार की स्थिति भी ठीक नहीं है।
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