इंदौर। अब छंटाई के नाम पर पेड़ों को काटने के मामलों में कमी आई है और जहां भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, निगम की टीम तत्काल वहां पहुंचकर स्पाट फाइन कर रही है। करीब 30 से ज्यादा स्पाट फाइन ऐसे ही मामलों में किए गए हैं। अब छंटाई के आवेदनों पर जांच हो रही है और उद्यान विभाग के अधिकारी मौका निरीक्षण करते हैं, उसके बाद ही विभिन्न शर्तों के साथ अनुमति दी जा रही है। नगर निगम उद्यान विभाग में करीब 40 से ज्यादा हर रोज ऐसे आवेदन आ रहे हैं, जिनमें पेड़ों की छंटाई किए जाने और खतरनाक पेड़ की शाखाएं बताकर जनहानि की बात कही जाती है, लेकिन अनुमति मिलने के बाद वहां पहुंची टीम से सेटिंग कर पेड़ के काफी महत्वपूर्ण हिस्से भी काट दिए जाते हैं।
ऐसे कई मामलों में शिकायतें आई थीं, जिसके चलते इस पर सख्ती से रोक लगाई गई। उद्यान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अब ऐसी शिकायतों के मामले में उद्यान विभाग के दरोगा अथवा बड़े अधिकारी को मौका निरीक्षण के लिए भेजा जाता है, ताकि यह पता लग सके कि वास्तव में स्थिति खतरनाक है अथवा नहीं और उनके द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के आधार पर ही संबंधित स्थानों पर पेड़ों की छंटाई के लिए विभिन्न शर्तों के साथ अनुमति दी जा रही है। इंदौर में पिछले दिनों बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान और वल्र्ड रिकार्ड बनाए जाने को लेकर आयोजित बैठकों में यह मुद्दा भी उठा था कि पेड़ों की छंटाई के नाम पर पूरे पेड़ ही काट दिए जाते हैं और इसमें उद्यान विभाग की टीमों की संलग्नता रहती है।
अब जनप्रतिनिधियों द्वारा बताए स्थानों पर ही छंटाई कार्य
उद्यान विभाग के अफसरों के पास क्षेत्रीय पार्षद अथवा अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा खतरनाक पेड़ों को लेकर जो शिकायतें की जाती हैं, उन पर ही गंभीरता से कार्रवाई की जा रही है। मुख्य मार्गों से लेकर वार्डों के गली-मोहल्लों में खतरनाक पेड़ों के हिस्से छांटने का काम भी चल रहा है, लेकिन निजी आवेदनों पर छानबीन का सिलसिला जारी है।
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