नई दिल्ली। कोविड-19 से दुनिया को बचाने के लिए वैक्सीन बनाने का काम लगभग पूरा हो चला है। अब तक तीन बड़ी फार्मा कंपनियों ने वैक्सीन ट्रायल का एफिसेसी डेटा जारी किया है। ताजा डेटा ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की तरफ से आया है। उनकी एक्सपेरिमेंटल कोविड वैक्सीन AZD1222 फेज 3 ट्रायल्स में 90% तक असरदार रही है। इससे पहले, अमेरिकी कंपनियों- फाइजर और मॉडर्ना अपनी-अपनी वैक्सीन का अंतरिम एनालिसिस जारी कर चुके हैं। जहां फाइजर की वैक्सीन 95% तक असरदार पाई गई, वहीं मॉडर्ना का टीका 94.5% असरदार रहा। भारत में AZD1222 का ट्रायल सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया कर रहा है। यह वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ नाम से उपलब्ध होगी। आइए जानते हैं कि इन तीनों में से भारत के लिहाज से सबसे मुफीद वैक्सीन कौन सी है और क्यों।
‘कोविशील्ड’ से हैं सबसे ज्यादा उम्मीदें
ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से भारत को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि यह वैक्सीन बाकी कैंडिडेट्स के मुकाबले बेहद किफायती है। एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन ‘नो प्रॉफिट’ बेसिस पर उपलब्ध कराने की बात कही है। कंपनी के मुताबिक, वैक्सीन की एक डोज 3 से 5 डॉलर के बीच हो सकती है। एस्ट्राजेनेका की सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के साथ 100 करोड़ वैक्सीन बनाने की डील हुई है। SII के सीईओ अदार पूनावाला कह चुके हैं कि ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन जनवरी तक लॉन्च हो सकती है। उनके मुताबिक, इसकी कीमत 225 रुपये के आसपास हो सकती है। ‘कोविशील्ड’ के साथ प्लस पॉइंट ये भी है कि इसके लिए भारत को कोल्ड चेन नेटवर्क में कोई खास बदलाव नहीं करना पड़ेगा। यह वैक्सीन फ्रिज टेम्प्रेचर यानी 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के बीच स्टोर की जा सकती है।
फाइजर की वैक्सीन असरदार लेकिन मिलना मुश्किल
अमेरिकी कंपनी फाइजर ने जर्मनी की बायोएनटेक के साथ मिलकर कोरोना की वैक्सीन तैयार की है। यह फेज 3 ट्रायल में 95% तक असरदार रही। ट्रायल के नतीजों के आधार पर यह अब तक की सबसे असरदार वैक्सीन है। हालांकि फाइजर की वैक्सीन को शून्य से भी कम तापमान (-70 डिग्री सेल्सियस) पर स्टोर करना पड़ता है जो इसकी सबसे बड़ी खामी है। वैक्सीन की कीमत भी अच्छी-खासी होगी। कंपनी ने अमेरिकी सरकार के साथ 19.50 रुपये में एक डोज के हिसाब से डील की है, ऐसे में खुले बाजार में वैक्सीन की कीमत इससे दोगुनी तक हो सकती है। भारत सरकार की फाइजर की वैक्सीन पर नजर तो है लेकिन अभी तक उसकी डोज खरीदने को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।
बहुत महंगी पड़ेगी मॉडर्ना की वैक्सीन?
फाइजर की तरह मॉडर्ना की वैक्सीन को भी बेहद कम तापमान पर स्टोर करके रखना पड़ता है। यह mRNA तकनीक पर आधारित वैक्सीन है और 94.5% तक असरदार पाई गई है। मॉडर्ना ने अपनी वैक्सीन की कीमत 32 से 37 डॉलर प्रति डोज रखने की बात कही है। बड़े ऑर्डर्स पर यह कीमत और नीचे जा सकती है। फिर भी मध्य और कम आय वाले देशों के लिए यह वैक्सीन अफोर्ड कर पाना बेहद मुश्किल होगा।
भारत के लिए कौन सी वैक्सीन सबसे अच्छी?
इन तीन वैक्सीन के अलावा भारत में दो और कोरोना वैक्सीन ट्रायल से गुजर रही हैं। इनमें एक भारत बायोटेक की Covaxin है और दूसरा जायडस कैडिला की ZyCov-D। सरकार ने वैक्सीन निर्माताओं से बात की है और ट्रायल पर भी नजर रख रही है। ‘कोविशील्ड’ को यूके में इमर्जेंसी अप्रूवल के बाद भारत में भी लिमिटेड यूज के लिए मंजूरी दी जा सकती है। ऐसे में इसी वैक्सीन के सबसे जल्दी आने की संभावना है। इसकी स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी मगर फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को स्टोर/डिस्ट्रीब्यूट करना टेढ़ी खीर साबित होगा। चंडीगढ़ पीजीआई के डायरेक्टर जगत राम के मुताबिक, सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड ही भारत के लिए सबसे ‘सूटेबल’ है। Covaxin से भी सरकार को खासी उम्मीदें हैं और वह भी कोविशील्ड की तरह ही आसानी से ट्रांसपोर्ट/डिस्ट्रीब्यूट की जा सकती है। उपलब्धता, सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स के पैमाने से देखें तो भारत के लिए सबसे मुफीद वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ और ‘कौवैक्सीन’ ही हैं। कोविशील्ड जनवरी तक तो कोवैक्सीन फरवरी तक भारत में इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो सकती है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved