नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में शनिदेव को न्यायप्रिय व कर्मफलदाता माना जाता है। ज्योतिष में शनि को प्रभावशाली ग्रह माना गया है। यहां तक कि अगर कुंडली में शनिदेव (shani dev in horoscope) शुभ स्थान पर विराजमान होते हैं तो यह जातक को सभी सुख-सुविधाओं को प्रदान करते हैं। शनि को सबसे धीमी गति का ग्रह माना गया है।
यही वज है कि शनि देव जहां इंसान के अच्छे कर्मों का शुभ फल देते हैं, वहीं बुरे कर्मों के दंड भी देते हैं। कर्मफल दाता शनि देव 29 अप्रैल को कुंभ राशि में मार्गी अवस्था में प्रवेश करेंगे। इस स्थिति में शनि देव 4 जून तक रहेंगे। फिर 4 जून से वक्री गति से गोचर करते हुए कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद 12 जुलाई को मकर राशि में वक्री स्थिति में प्रवेश करेंगे। शनि के इस राशि परिवर्तन से कुछ राशियों के जीवन जबरदस्त बदलाव आएगा। इस प्रकार कुम्भ राशि मे शनि देव 76 दिनों तक के लिए गोचर करने जा रहे है।
सिंह (Leo)
सिंह लग्न की राशि में शनि देव 7वें भाव में प्रवेश करेंगे. सप्तम भाव ऋण, शत्रु और दांपत्य जीवन का कारक माना जाता है साथ ही शनि की दृष्टि लग्न भाव पर भी रहेगी. जिसकी वजह से पिता से कष्ट हो सकता है। साथ ही माता की सेहत को लेकर चिंता बनी रहेगी. इसके अलावा मानसिक चिंता की स्थिति बनी रहेगी। मकान और वाहन पर खर्च बढ़ेगा। रोज की आय में बढ़ोतरी होगी। साझेदारी वाले काम से आर्थिक लाभ होगा। वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहेगी। प्रेम संबंधो में मधुरता आएगी।
कन्या (Virgo)
कन्या लग्न की राशि के 5 वें भाव में शनि का प्रवेश होगा. पंचम भाव विद्धा, संतान, बौधिक क्षमता का कारक होता है. इससे अलावा रोग, शत्रु और कर्ज का भी कारक होता है। शनि के इस राशि परिवर्तन से पैरों से जुड़ी समस्या उत्पन्न होगी।साथ ही आंखों से जुड़ी समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा सेहत को लेकर चिंता ही हो सकती है। खर्च में वृद्धि होगी. भाई-बहनों के टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
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