वॉशिंगटन । ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) की कोरोना वैक्सीन की सफलता को लेकर ब्रिटेन और यूरोपीय देशों के बीच विवाद हो गया है. फ्रांस (France) और स्वीडन (Sweden) ने फैसला किया है कि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को ऑक्सफोर्ड (Oxford) की कोरोना वैक्सीन लगाने को नहीं कहा जाएगा. जर्मनी (Germany) की सरकार ने भी ऐसा ही फैसला किया था. कुछ दिन पहले जर्मनी के कुछ प्रमुख अखबार ने अपनी रिपोर्ट्स में दावा किया था कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन 65 साल से अधिक उम्र के लोगों के बीच सिर्फ 8 फीसदी सफल रहती है. तब एस्ट्राजेनका कंपनी और जर्मनी की सरकार ने रिपोर्ट्स को गलत बताया था.
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रांस और स्वीडन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐलान किया है कि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन लगवाने को नहीं कहा जाएगा. समझा जा रहा है कि इस फैसले के पीछे वजह यह है कि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों पर वैक्सीन के पर्याप्त रूप से प्रभावी रहने के सबूत नहीं मिले हैं.
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (President Emmanuel Macron) ने दावा किया था कि 65 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए यह वैक्सीन ‘लगभग प्रभावहीन’ (Almost ineffective) रहती है. वहीं, ब्रिटेन में बोरिस जॉनसन की सरकार का कहना है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन सभी उम्र के लोगों पर सफल रहती है. लेकिन, यूरोपियन कमिशन के प्रेसिडेंट उरसुला वोन डर लेयेन ने आरोप लगाया है कि ब्रिटेन वैक्सीन को लेकर सुरक्षा के साथ समझौता कर रहा है.
इससे पहले जर्मनी के बिजनेस अखबार Handelsblatt ने जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रमुख अधिकारी के हवाले से कहा था- ‘हमारे पास जो डेटा है, उसके मुताबिक, 60 से अधिक उम्र के लोगों में वैक्सीन 10 फीसदी से भी कम सफल रहती है.’ जर्मनी के बड़े अखबार Bild ने भी ऐसी ही रिपोर्ट की थी. हालांकि, एस्ट्राजेनका ने इन रिपोर्टों का खंडन किया था.
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