स्वाद का जीभ से ही नहीं सेहत से भी गहरा रिश्ता है। हर स्वाद का शरीर पर अलग प्रभाव होता है। मीठा दिमाग को अच्छा करता है, तो कड़वा वजन कम करता है। खट्टा दिमाग तेज (brain sharp) करता है, तो तीखा रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। सेहत (Health) के लिए सभी स्वाद जरूरी है। ज्यादातर लोग लोग भोजन और नाश्ते के लिए क्विक और प्रोसेस्ड फूड को लेना पसंद करते हैं, लेकिन ऐसे ब्रेकफास्ट से आपको स्वास्थ्य संबंधी कुछ गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी का सेवन मोटापे और टाइप 2 मधुमेह जैसी कई पुरानी बीमारियों का एक प्रमुख कारण है।
इस पर कई शोध भी हुए हैं जिनमें ये बात साफ जाहिर हो चुकी है कि अधिक मात्रा वाले चीनीयुक्त खाद्य पदार्थ सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। तमाम शोध खुलासा भी कर चुके हें कि अधिक शुगर का सेवन करने का मतलब है सेहत के लिए खतनराक बीमारियों को न्यौता देना।
शोध बताते हैं कि उच्च चीनी आहार से मोटापा, सूजन और उच्च ट्राइग्लिसराइड, रक्त शर्करा और रक्तचाप का स्तर हो सकता है और ये सभी दिल की बीमारी के खतरे को बढ़ाने वाले फैक्टर हैं। 30000 से अधिक लोगों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अतिरिक्त चीनी की 17-21% कैलोरी का सेवन करते हैं, उनमें हृदय रोग से मौत का 38% अधिक खतरा होता है। बताते हैं कि अत्यधिक मात्रा में चीनी खाने से कुछ प्रकार के कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है। चीनी से बने फूड और ड्रिंक्स सबसे पहले मोटापा को बढ़ाते हैं जो आपके कैंसर के जोखिम को काफी बढ़ा देता है। इसके अलावा, चीनी आपके शरीर की सूजन को बढ़ाती है और इंसुलिन प्रतिरोध का कारण भी बन सकती है, और इस तरह से ये दोनों कैंसर के खतरे को बढ़ाती हैं। 430,000 से अधिक लोगों के एक अध्ययन में पाया गया कि अतिरिक्त चीनी की खपत सकारात्मक रूप से एसोफैगल कैंसर, फुफ्फुस कैंसर और छोटी आंत के कैंसर के खतरो को बढ़ाती है।
पिछले 30 सालों में मधुमेह का विश्वव्यापी प्रसार दोगुने से अधिक हो गया है, हालांकि इसके कई कारण हैं, लेकिन अत्यधिक चीनी के सेवन और मधुमेह के जोखिम के बीच एक स्पष्ट संबंध है। मोटापा, जो अक्सर बहुत अधिक चीनी का सेवन करने के कारण होता है और वही डायबिटीज के लिए सबसे बड़ा फैक्टर माना जाता है। 175 से अधिक देशों के एक जनसंख्या शोध में पाया गया कि प्रतिदिन खपत होने वाली चीनी की प्रत्येक 150 कैलोरी या सोडा के लगभग एक कैन के लिए मधुमेह विकसित होने का जोखिम 1.1% बढ़ गया।
झुर्रियां उम्र बढ़ने का एक प्राकृतिक संकेत हैं और कभी-कभी ये उम्र से पहले भी दिखने लगती हैं। इसकी जिम्मेदार हम खुद ही हैं, क्योंकि झुर्रियों का कम उम्र में दिखने का एक कारण हमारा खराब आहार भी हो सकता है। रिफाइंड कार्ब्स और अधिक चीनी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से एजीई का उत्पादन होता है, जिससे आपकी त्वचा समय से पहले ही मुरझाने लगती है।
एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन महिलाओं ने अतिरिक्त शर्करा सहित अधिक कार्ब्स का सेवन किया, उनमें उच्च प्रोटीन, कम कार्ब आहार (32) वाली महिलाओं की तुलना में अधिक झुर्रियां दिखीं। यहां तक कि चीनी और प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन करने से डिप्रेशन भी बढ़ सकता है। 8,000 लोगों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जिन पुरुषों ने प्रतिदिन 67 ग्राम या अधिक चीनी का सेवन किया था, वे उन पुरुषों की तुलना में 23% ज्यादा डिप्रेशन की चपेट में आए थे जिन्होंने प्रतिदिन 40 ग्राम से कम शुगर कंज्यूम की। 69000 से अधिक महिलाओं में किए गए एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि जो लोग चीनी का सबसे अधिक सेवन करते हैं, उनमें अवसाद का खतरा काफी अधिक था।
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