कोरोना महामारी से सारा विश्व जूझ रहा है लेकिन अभी तक इस वायरस को खत्म करने वाली सफल वैक्सीन नही बन पाई हैं। कई शोध किए जा रहे हैं, जिनमें कोरोना को हराने के लिए वैक्सीन बनाने पर गहन अध्ययन किया जा रहा है। वहीं, कोरोना वायरस महामारी की तीसरी लहर के चलते संक्रमितों की संख्या में रोजाना तेजी से इजाफा हो रहा है। जबकि समय के साथ कोरोना वायरस के लक्षणों में भी इजाफा हो रहा है। खबरों की मानें तो मुंबई में कोरोना वायरस के मरीजों में गुलियन बेरी सिंड्रोम के लक्षण भी पाए गए हैं। इससे डॉक्टरों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। International Business Times के अनुसार, अब तक कोरोना वायरस के 24 मरीज गुलियन बेरी सिंड्रोम से पीड़ित पाए गए हैं। अगर आपको गुलियन बेरी सिंड्रोम के बारे में कुछ नहीं पता है, तो आइए इसके बारे में सब कुछ जानते हैं-
गुलियन बेरी सिंड्रोम क्या है
गुलियन बेरी सिंड्रोम एक स्वप्रतिरक्षित रोग है। स्वप्रतिरक्षित रोग में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ तंत्रिकाओं पर हमला करने लगती है। इससे शरीर में कमजोरी होने लगती है। जबकि हाथों और पैरों में झुनझुनी होने लगती है। समय के साथ गुलियन बेरी सिंड्रोम के विकार पूरे शरीर में फ़ैल जाती है। शुरुआत में इस रोग से श्वसन और सांस संबंधी परेशानियां होती हैं। इसके बाद पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो जाता है।
गुलियन बेरी सिंड्रोम के लक्षण
-सांस लेने में तकलीफ होती है।
-हाथ-पैर में झुनझुनी होती है।
-रक्त चाप की समस्या होती है।
-चलने अथवा सीढ़ी चढ़ने में कठिनाई होती है।
गुलियन बेरी सिंड्रोम के कारण
वर्तमान समय में गुलियन बेरी सिंड्रोम के कारणों का पता नहीं चल सका है। इसके लिए चिकित्सा जगत में कई शोध किए जा रहे हैं। तत्काल में प्रतिरक्षा प्रणाली का नसों पर हमला करना प्रमुख कारण माना जाता है।
गुलियन बेरी सिंड्रोम का बचाव
फ़िलहाल गुलियन बेरी सिंड्रोम का कोई सफलतम उपचार नहीं है। इसके लिए परहेज जरूरी है। विशेषज्ञों की मानें तो गुलियन बेरी सिंड्रोम यानी जीबीएस से बचाव के लिए नियमित और संतुलित आहार लें, वर्कआउट के साथ-साथ योग और मेडिटेशन करें। जबकि लक्षण दिखने पर डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
नोट : उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं इन्हें किसी प्रोफेशनल डॉक्टर की सलाह के रूप में न समझें। कोई भी बीमारी या परेंशानी होने पर डॉक्टर की सलाह जरूर लें ।
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