- उज्जैन में पक्षियों के लिए बनाए गए ऊंचे घरोंदों का विरोध शुरू..हटाने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
उज्जैन। शहर में पक्षियों के लिए बनाए गए ऊंचे टॉवर (घरोंदे) का विरोध शुरू हो गया है। लोगों का कहना है कि यहाँ सामान्य पक्षी तो नहीं उल्टे यहाँ कबूतरों का जमघट लगना शुरू हो जाएगा। एक एनजीओ सहित शहर के कई संगठनों का कहना है कि इतने ऊंचे स्थान पर रॉक कबूतर जिन्हें पहाड़ी कबूतर भी कहा जाता है बड़ी संख्या में आने लगेंगे। इन कबूतरों में खतरनाक बैक्टीरिया पाया जाता है। इससे जिस क्षेत्र में भी टावर बने हैं वहाँ बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ रहा है।
उज्जैन में पक्षियों को रहने के लिए बर्ड टावर का निर्माण किया गया है। इसको लेकर पर्यावरणविदों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र को लिखा है। उनका कहना है कि एक तरह से उडऩे वाले चूहे रॉक कबूतरों बर्ड टावरों पर धीरे-धीरे कब्जा कर लेंगे। इनसे खतरनाक बैक्टीरिया निकलता है, जो पक्षियों के साथ आम जनजीवन को नुकसान पहुँचाएँगे। पर्यावरणविदों का कहना है कि स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले पक्षियों को ऐसी सुविधा प्रदान करना अप्राकृतिक और अव्यावहारिक है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में गैर सरकारी संगठन द नेचर वॉलंटियर्स (टीएनवी) सोसायटी ने दावा किया कि नवंबर 2021 में जारी राज्य सरकार के आदेश के मापदंडों का उल्लंघन करते हुए उज्जैन में ऐसे कई टावर बनाए जा रहे हैं। सोसायटी के अध्यक्ष पद्मश्री भालू मोंढे ने पत्र में कहा कि अनुभव से पता चला है कि उडऩे वाले चूहे, जिन्हें भारतीय चट्टानी कबूतर या पहाड़ी कबूतर भी कहा जाता है, इन टावरों पर कब्जा कर लेंगे जिस कारण न तो राज्य पक्षी पैराडाइस फ्लाई कैचर और न ही गोल्डन ओरियोल या अन्य वृक्षीय प्रजाति के पक्षी वहाँ घोंसला बना सकेंगे। वन्य जीव विशेषज्ञ और भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के पूर्व अधिकारी सुहास कुमार ने कहा कि रॉक कबूतरों में खतरनाक बैक्टीरिया होता है जो एक विशेष प्रकार का प्रोटीन है और यह मानव फेफड़ों को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाता है। पर्यावरणविद् अभिलाष खांडेकर ने कहा कि गुजरात में पक्षियों के लिए सीमेंट कांक्रीट से बने ढांचे का चलन नया है। नेचर वॉलंटियर्स ने इसका विरोध किया और राज्य सरकार से 2021 में बर्ड टावरों के निर्माण को हतोत्साहित करने और प्रतिबंधित करने का आधिकारिक आदेश जारी करवाया। उज्जैन के वार्ड 27 के वसंत विहार और मुनिनगर के पास पक्षियों के लिए बर्ड टावर बनाए गए हैं। मंगलनाथ क्षेत्र में भी इस तरह के बर्ड टावर बने हैं। अधिकारियों के अनुसार किसी व्यक्ति या गैर-सरकारी संगठन ने ऐसे टावरों का निर्माण किया होगा सरकार की ऐसी कोई योजना नहीं है।