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    आजादी का अमृतकाल : आजादी दिलाने इन महानायकों ने निभाई थी मुख्य भूमिका, जानिए इनकी जन्मस्थली

  • August 15, 2022

    नई दिल्ली । freedom fighters-आजादी के 75 साल का सफर हमने तय कर लिया है। इन 75 सालों में हमने जमीं से लेकर आसमां तक, बहुत कुछ हासिल किया है। यही कारण है आज हम यानि 15 अगस्त को देश की आजादी को 75 साल पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्‍सव मना रहे हैं।
    आपको बता दें कि भारत की आजादी की लड़ाई में लाखों लोगों ने भाग लिया था, किन्‍तु कुछ ऐसे भी लोग थे जो एक नई प्रतीक या प्रतिमा के साथ उभरे ये कहना गलत नहीं होगा कि आजादी के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों (freedom fighters) ने अपने जीवन का त्याग किया और इन्हीं लोगों के कारण हम आज स्वतंत्र देश में रहने का आनंद ले रहे हैं।

    मंगल पांडे
    मंगल पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक गांव नगवा में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘दिवाकर पांडे’ तथा माता का नाम ‘अभय रानी’ था। वे सन 1849 में 22 साल की उम्र में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए थे. वे बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना में एक सिपाही थे। यहीं पर गाय और सूअर की चर्बी वाले राइफल में नई कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ. जिससे सैनिकों में आक्रोश बढ़ गया और परिणाम स्वरुप 9 फरवरी 1857 को ‘नया कारतूस’ को मंगल पाण्डेय ने इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया।

    29 मार्च सन् 1857 को अंग्रेज अफसर मेजर ह्यूसन भगत सिंह से उनकी राइफल छीनने लगे और तभी उन्होंने ह्यूसन को मौत के घाट उतार दिया साथ ही अंग्रेज अधिकारी लेफ्टिनेन्ट बॉब को भी मार डाला। इस कारण उनको 8 अप्रैल, 1857 को फांसी पर लटका दिया गया। मंगल पांडे की मौत के कुछ समय पश्चात प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हो गया था जिसे 1857 का विद्रोह कहा जाता है।

    बाल गंगाधर तिलक
    भारतीय क्रंति के जनक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जन्मस्थली। तिलक जो महात्मा गांधी के आंदोलन शुरू होने से पहले सबसे बड़े नेता थे। तिलक जिन्होंने एनी बेसेंट की मदद से होम रूल लीग की स्थापना की थी। वही, होम रूल आंदोलन जिसके कारण ही तिलक को लोकमान्य की उपाधि मिली।

    बाबा साहब भीमराव आंबेडकर
    देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर से लगभग 23 किलोमीटर दूर पुराने आगरा-मुंबई मार्ग पर महू छावनी है। यहीं 130 साल पहले डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का जन्म हुआ था। आंबेडकर यहां आज भी प्रासंगिक बने हुए हैं। खपरैल के जिस क्वार्टर में आंबेडकर का जन्म हुआ वो आज भव्य स्मारक का स्वरूप ले चुका है। आज ये स्माकर करोड़ों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। ये स्थल शिक्षा, संगठन और संघर्ष की भी प्रेरणा देता है।

    सरदार वल्लभभाई पटेल
    अखंड भारत के शिल्पी सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्मस्थल नडियाद है। जिस मकान में उनका जन्म हुआ, वहां आज ताला लगा रहता है। उनके जन्मस्थान से तीन मकान छोड़कर किराने की एक दुकान है। इसी दुकानवाले की चाबी से सरदार पटेल की दुनिया खुलती और दिखती है। इस दुकानदार के नहीं होने पर आप पटेल का जन्मस्थान नहीं देख पाएंगे। नर्मदा के किनारे भले पटेल की आकाश छूती प्रतिमा बना दी गई हो, लेकिन उनका जन्मस्थान जर्जर हालत में है।



    नेताजी सुभाषचंद्र बोस
    नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को देश का नामचीन वकील जानकीनाथ बोस के घर हुआ था। ओडिशा के कटक शहर में स्थिति सुभाष का जन्मस्थान अब म्यूजियम में तब्दील हो चुका है। नेताजी के घर जानकीभवन को 2004 में सरकार ने नेताजी जन्मस्थान संग्रहालय बना दिया था।

    पंडित जवाहरलाल नेहरू
    पंडित जवाहरलाल नेहरू को चाचा नेहरू और पंडित जी के नाम से भी बुलाया जाता है। उनके पिता का नाम ‘पं. मोतीलाल नेहरू’ और माता का नाम ‘श्रीमती स्वरूप रानी’ था। वह भारतीय स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी के साथ सम्पूर्ण ताकत से लड़े, असहयोग आंदोलन का हिस्सा रहेफ असल में वह एक बैरिस्टर और भारतीय राजनीति में एक केन्द्रित व्यक्ति थे। आगे चलकर वे राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने। बाद में वह उसी दृढ़ विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन में गांधीजी के साथ जुड़ गए। भारतीय स्वतंत्रता के लिए 35 साल तक लड़ाई लड़ी और तकरीबन 9 साल जेल भी गए। 15 अगस्त, 1947 से 27 मई, 1964 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने थे। उन्हें आधुनिक भारत के वास्तुकार के नाम से भी जाना जाता है।

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