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    रेल हादसों को रोकने में अग्रणी हैं ये देश, क्या इनसे सीख ले सकता है भारत? ये है तकनीकें

  • June 04, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi) । ओडिशा ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) ने एक बार फिर से भारत (India) की रेल सुरक्षा क्षमताओं को लेकर गंभीर सवाल (serious question) खड़े किए हैं। इस हादसे में अब तक 288 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है वहीं हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। ट्रेनों के पटरी से उतरने और टकराने सहित ट्रेन दुर्घटनाओं के विनाशकारी परिणाम (disastrous consequences) हो सकते हैं और इससे भारी जानमाल की हानि और व्यापक क्षति हो सकती है। ओडिशा दुर्घटना इसका एक ताजा उदाहरण है।

    हालांकि जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ी है, वैसे-वैसे ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने की हमारी क्षमता भी विकसित हुई है। आज, हम ट्रेन के पटरी से उतरने और टक्करों को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ताजा टेक्नोलॉजी के बारे में जानेंगे और उन देशों के बारे में भी बताएंगे जो इस तरह के सुरक्षात्मक उपायों (protective measures) को लागू करने में सफल रहे हैं।


    ट्रेन हादसों को कैसे रोकें?
    1. एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम
    आधुनिक ट्रेनों में एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम (Advance Signaling System) बेहद जरूरी है। ज्यादातर देशों की ट्रेनों में पॉजिटिव ट्रेन कंट्रोल (PTC) जैसे एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम लगे होते हैं। PTC टेक्नोलॉजी ट्रेन की गतिविधियों की निगरानी और नियंत्रण (monitoring and control) के लिए GPS, वायरलेस कम्युनिकेशन और ऑनबोर्ड कंप्यूटर के संयोजन का इस्तेमाल करती है। PTC सिस्टम ट्रेन-टू-ट्रेन टक्करों, ओवरस्पीड डिरेलमेंट्स, गलत स्थिति में स्विच के माध्यम से ट्रेनों की आवाजाही को मजबूती से और कार्यात्मक रूप से रोकने के लिए कम्युनिकेशन-बेस्ड और प्रोसेसर-बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (Communication-Based and Processor-Based Train Control) टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है। यह टेक्नोलॉजी संभावित टक्कर को रोकने के लिए आवश्यक हो तो स्वचालित रूप से ब्रेक लगा सकती है।

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    2. ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (TCAS)
    ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (TCAS) दूसरी ट्रेनों, वाहनों, या पैदल चलने वालों सहित पटरियों पर आने वाली बाधाओं का पता लगाने के लिए रडार, लिडार और अन्य सेंसर तकनीकों का इस्तेमाल करती है। ये सिस्टम ट्रेन ऑपरेटरों (लोको पायलटों) को रीयल-टाइम अलर्ट प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें टकराव से बचने के लिए तत्काल कार्रवाई करने में मदद मिलती है।

    3. स्वचालित ट्रैक निरीक्षण (ATI)
    संभावित खतरों की पहचान के लिए पटरियों का नियमित निरीक्षण (Inspection) बेहद जरूरी है। ऐसे में स्वचालित ट्रैक निरीक्षण यानी ऑटोमेटिक ट्रैक इंस्पेक्शन टेक्नोलॉजी बेहद कारगर है। ATI टेक्नोलॉजी जैसे कि लेजर और कैमरों से लैस ट्रैक ज्योमेट्री कारें, गड़बड़ियों और विसंगतियों का पता लगाने के साथ ट्रैक की स्थिति का त्वरित आकलन कर सकती हैं। इन कारों को ट्रैक रिकॉर्डिंग कार भी कहते हैं। इनका इस्तेमाल सामान्य रेल संचालन में बाधा डाले बिना ट्रैक ज्योमेट्री के कई मापदंडों का परीक्षण करने के लिए किया जाता है। यह समय पर रखरखाव और मरम्मत की अनुमति देता है, पटरी से उतरने के जोखिम को कम करता है।

    4. संभावित जोखिमों की पहचान और रखरखाव
    बहुत सारी टेक्नोलॉजी ऐसी हैं जो संभावित जोखिमों का पता लगा सकती हैं। ऐसी तकनीकों को लागू करने से ट्रेन से जुड़ी संभावित गड़बड़ियों को होने से पहले पहचानने में मदद मिल सकती है। ट्रेनों में तापमान, कंपन और निगरानी प्रणाली जैसे सेंसर्स से डेटा का एनालिसिस करके, रखरखाव दल शुरुआती चेतावनी संकेतों का पता लगा सकते हैं और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सक्रिय उपाय कर सकते हैं।

    5. उन्नत संचार प्रणाली
    हादसों को रोकने के लिए ट्रेन ऑपरेटरों, कंट्रोल सेंटर और रखरखाव कर्मियों के बीच अच्छी तरह से बातचीत या संवाद का होना बेहद आवश्यक है। वायरलेस डेटा नेटवर्क और रीयल-टाइम रिपोर्टिंग टूल सहित आधुनिक संचार प्रणालियां (कम्युनिकेशन सिस्टम) जानकारी को तेजी से भेजने में सक्षम बनाती हैं। ऐसे में आपात स्थिति के मामले में एक टीम का दूसरी टीम के साथ समन्वय और तुरंत प्रतिक्रिया देना, हादसे को टाल सकता है।

    रेल हादसों को रोकने में अग्रणी हैं ये देश
    जापान:
    अपनी कुशल और सुरक्षित ट्रेन सिस्टम के लिए फेमस, जापान ने दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विभिन्न एडवांस तकनीकों को लागू किया है। इसकी शिंकानसेन बुलेट ट्रेन, अत्याधुनिक सिग्नलिंग सिस्टम और स्वचालित ट्रेन नियंत्रण से लैस है। इस ट्रेन का वर्ल्ड रिकॉर्ड है कि इसमें आज तक कोई एरर नहीं हुई है। जापान उन्नत ट्रैक निरीक्षण और रखरखाव तकनीकों को अपनाते हुए नियमित निरीक्षण और रखरखाव पर भी जोर देता है।

    जर्मनी
    जर्मनी अपने कठोर सुरक्षा मानकों और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी में निरंतर निवेश के लिए जाना जाता है। देश ने यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ETCS) सहित कई व्यापक ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लागू किए हैं, जो विभिन्न रेल नेटवर्कों में सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करती है। जर्मनी कर्मचारियों की ट्रेनिंग पर भी जोर देता है और नियमित सुरक्षा ऑडिट करता है।

    दक्षिण कोरिया
    दक्षिण कोरिया ने ट्रेन हादसों को रोकने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इसके ट्रेन सिस्टम ऑटोमैटिक ट्रैक निरीक्षण तकनीकों के साथ-साथ एडवांस सिग्नलिंग और कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस हैं। देश के हाई-स्पीड रेल नेटवर्क का एक उत्कृष्ट सुरक्षा रिकॉर्ड है। इसे केटीएक्स के नाम से जाना जाता है।

    यूनाइटेड किंगडम (UK)
    यूनाइटेड किंगडम ने ऑटोमैटिक वॉर्निंग सिस्टम (एडब्ल्यूएस) और हाल ही में यूरोपीय रेल यातायात प्रबंधन प्रणाली (ईआरटीएमएस) जैसी उन्नत ट्रेन सुरक्षा प्रणालियों को लागू किया है। ये प्रणालियां रीयल-टाइम अलर्ट और ऑटोमैटिक ब्रेकिंग क्षमताएं प्रदान करती हैं, जिससे टक्करों और पटरी से उतरने के जोखिम को काफी कम किया जा सकता है।

    ट्रेन हादसों को रोकने के लिए एडवांस तकनीकों, मजबूत रखरखाव और कुशल संचार प्रणालियों के संयोजन की आवश्यकता होती है। एडवांस सिग्नलिंग, टकराव से बचाव सिस्टम, स्वचालित ट्रैक निरीक्षण और उन्नत संचार जैसी नवीनतम तकनीकें दुर्घटनाओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। जापान, जर्मनी, दक्षिण कोरिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों ने इन तकनीकों को लागू करने और यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देने में सफलता हासिल की है। इन सफलता की कहानियों से सीखकर और उपायों में निवेश करके भारत सुरक्षित ट्रेन यात्रा को बढ़ावा दे सकता है।

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