वाशिंगटन । कोरोना वायरस से मुकाबले की दिशा में भारतवंशी समेत वैज्ञानिकों के एक दल को बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने अब तक के सबसे छोटे आकार की एंटीबॉडी की पहचान की है। उनका दावा है कि नन्हे आकार वाला यह बॉयोलॉजिकल मॉलिक्यूल कोविड-19 का कारण बनने वाले सार्स-कोवी-2 वायरस को पूरी तरह बेअसर कर सकता है।
सेल पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, सामान्य आकार की एंटीबॉडी की तुलना में दस गुना छोटे आकार के इस मॉलिक्यूल का इस्तेमाल एबी8 नामक दवा को बनाने में किया गया है। इस दवा का इस्तेमाल सार्स-कोवी-2 के खिलाफ किया जा सकता है। भारतीय मूल के श्रीराम सुब्रमण्यम समेत कनाडा की ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने परीक्षण में सार्स-कोवी-2 से संक्रमित चूहे पर एबी8 दवा को आजमाया है। उन्होंने संक्रमण की रोकथाम और उपचार में इस दवा को काफी हद तक प्रभावी पाया है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि नन्हा आकार होने की खासियत से यह मॉलिक्यूल कोरोना वायरस को बेअसर करने में टिश्यू की क्षमता को बढ़ाता है। यह दवा मानव कोशिकाओं से जुड़ती नहीं है, जो एक अच्छा संकेत है। इससे लोगों पर किसी दुष्प्रभाव की आशंका नहीं के बराबर है।
इस अध्ययन से जुड़े अमेरिका की पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जॉन मेलर्स ने कहा, ‘एबी8 में न सिर्फ कोविड-19 का उपचार करने की क्षमता है बल्कि इसके इस्तेमाल से लोगों को संक्रमण से भी बचाया जा सकता है।’ उन्होंने बताया, ‘बड़े आकार की एंटीबॉडी दूसरे संक्रामक बीमारियों के खिलाफ कारगर होती है और हमें उम्मीद है कि यह कोरोना के खिलाफ एक प्रभावी उपचार बन सकती है।’ गौरतलब है कि अमेरिका, भारत और ब्राजील में सबसे ज्यादा कोरोना के मामले देखें जा रहे हैं। वहीं,पूरी दुनिया को कोरोना की वैक्सीन का इंतजार है।
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