वायरस म्यूटेट होकर विकसित होने लगते हैं जिससे एक नया वेरिएंट तैयार होता है। WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक, जब एक वायरस रेप्लीकेट होता है तो वो अपनी ही नकल करने लगता है। वायरस में हो रहे बदलाव को म्यूटेशन कहते हैं। कोरोना के हाल ही में म्यूटेट हुए डेल्टा वेरिएंट ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा रखी है। ये अब एक नए स्ट्रेन डेल्टा प्लस वेरिएंट में म्यूटेट हो चुका है, जो बहुत ज्यादा संक्रामक है।
हालांकि डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variants) के अलावा कोरोना के कई और भी ऐस वेरिएंट हैं जो ऑरिजनल स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक हैं। अब हेल्थ एक्सपर्ट ने डेल्टा और डेल्टा प्लस वेरिएंट के अलावा कोविड के कई नए वेरिएंट्स को सूचीबद्ध किया है जो तेजी उभर रहे हैं।
दि लम्बडा वेरिएंट-
कोरोना का लम्बडा वेरिएंट (Lambda Variant) सबसे पहले अगस्त 2020 में पेरू में पाया गया था। ये वेरिएंट अब तक करीब 29 देशों में फैल चुका है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) के मुताबिक, ब्रिटेन में 23 फरवरी से 7 जून तक लम्बडा वेरिएंट के छह मामले दर्ज किए जा चुके हैं। PHE ने लम्बडा वेरिएंट (C।37) को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में लिस्टेड किया है.
B.11.318-
कोरोना के B.11.318 वेरिएंट में कप्पा वेरिएंट की तरह E484K म्यूटेशन ही होता है। भारत इस नए वेरिएंट के दो जीनोम सिक्वेंसिस को रिपोर्ट भी कर चुका है। ये वायरस भी काफी तेजी से लोगों को अपना शिकार बना सकता है।
B.1.617.3-
B.1.617 से पैदा हुआ B.1.617.3 वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट B.1.617.2 का ही एक हिस्सा है, जिसे भारत में तबाही के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना गया है. B.1.617.3 से परेशान एक्सपर्ट अब इसे ‘वेरिएंट ऑफ कन्सर्न’ के रूप में लिस्टेड कर चुके हैं।
दक्षिण अफ्रीका का B.1.351 वेरिएंट-
दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में तबाही मचाने वाले B.1.351 वेरिएंट अगस्त 2020 में मिला था। ये वेरिएंट अब तक 75 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। डेल्टा वेरिएंट की तरह ये भी बड़ी तेजी से फैलता है। ये वेरिएंट किसी इंसान को गंभीर रूप से बीमार कर सकता है और इसमें रीइंफेक्शन का खतरा भी ज्यादा है।
जापान/ब्राजील B.1.1.28.1 वेरिएंट-
दिसंबर 2020 में मिला कोरोना का ये वेरिएंट भी अत्यधिक संक्रामक है। इसकी गंभीरता को लेकर वैज्ञानिक अभी भी शोध कर रहे हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि रीइंफेक्शन के लिए इस वेरिएंट को जिम्मेदार माना जा सकता है।
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