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अंतिम चरण के ट्रायल में हैं कोरोना की ये 8 वैक्सीन

September 18, 2020


नई दिल्ली। चीन में जब पहली बार कोरोना वायरस का मामला सामने आया था, तब से लेकर अब तक लगभग 10 महीने का समय बीत चुका है और इस दौरान दुनियाभर के वैज्ञानिक इसके लिए वैक्सीन बनाने के काम में जुटे हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में इस वक्त कोरोना की 176 संभावित वैक्सीन पर काम हो रहा है, जिसमें से 35 क्लीनिकल ट्रायल में पहुंच चुके हैं, लेकिन अब तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। दुनिया की शीर्ष फार्मा कंपनियों में से एक एस्ट्राजेनेका ने दावा किया है कि वह 2021 की शुरुआत में कोरोना की वैक्सीन लॉन्च कर देगा और दुनियाभर के लोगों को टीका देने में कम से कम चार से पांच साल का वक्त लगेगा। आइए जानते हैं उन 8 वैक्सीन के बारे में, जो ट्रायल के अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं और कभी भी खुशखबरी मिल सकती है।
ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ChAdOx1 फिलहाल ट्रायल के तीसरे यानी अंतिम चरण में है। इसे वैक्सीन की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। हाल ही में ट्रायल के दौरान एक मरीज के बीमार पड़ जाने के कारण ट्रायल को रोक दिया गया था, लेकिन बाद में फिर से उसे शुरू कर दिया गया है। भारत में भी इसका ट्रायल चल रहा है। भारत में इसके उत्पादन के लिए एस्ट्राजेनेका के साथ सीरम इंस्टीट्यूट ने साझेदारी की है। एस्ट्राजेनेका ने दावा किया है कि 2021 की शुरुआत में उसकी वैक्सीन बाजार में आ जाएगी।
फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन
अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक की वैक्सीन का फिलहाल अंतिम चरण का ट्रायल चल रहा है। जुलाई में ही फाइजर और बायोएनटेक दोनों कंपनियों ने एक साझा बयान जारी करते हुए बताया था कि अगर आखिरी चरण के परीक्षण सफल रहे, तो अक्तूबर महीने के अंत तक वो सरकारी मंजूरी के लिए आवेदन दे सकेंगे। हाल ही में बायोएनटेक कंपनी के सीईओ और को-फाउंडर उगुर साहिन ने एक निजी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया है कि उनकी वैक्सीन अक्तूबर के आखिर तक उपलब्ध हो सकती है। अमेरिकी सरकार ने वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक खरीदने के लिए फाइजर के साथ समझौता किया है।
कैन्सिनो बायोलॉजिक्स और बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की वैक्सीन
चीनी कंपनी कैन्सिनो बायोलॉजिक्स इंक की वैक्सीन Ad5-nCoV को तो पेटेंट भी मिल चुका है। इतना ही नहीं, बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के सहयोग से बनाई गई इस वैक्सीन का चीन में सैन्य इस्तेमाल भी हो रहा है। वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि इस साल के अंत तक यह वैक्सीन बाजार में आ सकती है। हालांकि इस वैक्सीन के फिलहाल तीसरे यानी अंतिम चरण का ट्रायल चल ही रहा है।
गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट की वैक्सीन
रूस की गमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित वैक्सीन का भी फिलहाल अंतिम चरण का ट्रायल चल रहा है, जबकि 11 अगस्त को तो उसने वैक्सीन ‘स्पूतनिक-वी’ को लॉन्च भी कर दिया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस वैक्सीन को सुरक्षित और प्रभावी बताया था। हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस में आम लोगों को वैक्सीन की खुराक दी भी जा रही है और साथ ही भारत की जानी-मानी दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैब से इसके उत्पादन के लिए हाल ही में करार भी हुआ है।
जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन
जॉनसन एंड जॉनसन की फार्मा कंपनी जानसेन सितंबर के अंत में अपने कोरोना वायरस वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल शुरू करने की योजना बना रही है। इस कंपनी ने वैक्सीन के लिए ब्रिटेन के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत वह ब्रिटेन को वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक देगी। जॉनसन एंड जॉनसन का लक्ष्य है कि 2021 तक कोरोना वैक्सीन की वैश्विक स्तर पर 100 करोड़ से अधिक डोज की आपूर्ति की जाए।
सिनोवैक की वैक्सीन
चीन की सिनोवैक बायोटेक फार्मा कंपनी को अपनी वैक्सीन ‘कोरोनावैक’ के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए 16 जुलाई को मंजूरी मिली थी, जबकि वह वैक्सीन बनाने का काम जनवरी से ही कर रहा है। कंपनी ने इस साल के अंत तक वैक्सीन बाजार में उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है।
सिनोफार्म की वैक्सीन
चीन की ही फार्मा कंपनी सिनोफार्म ने कुछ दिन पहले ही यह घोषणा की थी कि इस साल के अंत तक वो कोरोना की वैक्सीन बना लेगी। फिलहाल इसके तीसरे चरण का ट्रायल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में चल रहा है। बताया जा रहा है कि इस वैक्सीन की दो खुराक की कीमत 1000 युआन यानी करीब 10,700 रुपये हो सकती है।
मॉडर्ना की वैक्सीन
अमेरिका की दवा कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन mRNA-1273 का फिलहाल अंतिम चरण का ट्रायल चल रहा है, जिसमें 30 हजार लोगों को शामिल किया गया है। इस ट्रायल को सितंबर में पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। कंपनी ने इस साल दिसंबर तक वैक्सीन को बाजार में उपलब्ध कराने की योजना बनाई है।

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