नई दिल्ली. शनि की साढ़ेसाती (Saturn’s half-century) की तरह ही ढैय्या भी प्रभावित करती है. शनि की साढ़ेसाती की अवधि साढ़े सात साल की होती है. जबकि शनि की ढैय्या (Shani’s Dhaiyya) की अवधि ढाई साल की होती है. ज्योतिष की गणना के मुताबिक इस वक्त शनि मकर राशि में मौजूद हैं. यहां ये 29 अप्रैल तक विराजमान रहेंगे. इसके बाद कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. इस समय 5 राशियों पर शनि की नजर है. ऐसे में जानते हैं शनि की ढैय्या से पीड़ित जातकों को कब मुक्ति मिलेगी.
मिथुन और तुला राशियों को मिलेगी ढैय्या से मुक्ति
ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के मुताबिक शनि देव जब भी राशि परिवर्तन करते हैं तो कुछ राशियों को ढैय्या से मुक्ति मिल जाती है. जबकि कुछ राशि के जातक साढ़ेसाती के प्रकोप से मुक्त हो जाते हैं. आगामी 29 अप्रैल को जब शनि राशि बदलेंगे तो मिथुन और तुला राशि वालों को ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी. वहीं 12 जुलाई को फिर से शनि मकर राशि में आ जाएंगे. इस स्थिति में शनि 17 जनवरी 2023 तक रहेंगे. इस अवधि में मिथुन और तुला राशि (Gemini and Libra) वाले एक बार फिर से शनी की ढैय्या की चपेट में आ जाएंगे. ऐसे में पूरी तरह से शनि की दशा से मुक्ति 17 जनवरी 2023 को मिलेगी. इसके अलावा जहां इन दो राशियों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिलेगी, वहीं कर्क और वृश्चिक राशियों पर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी. साथ ही मीन राशि (Pisces) पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी. जबकि धनु राशि वालों को इससे मुक्ति मिल जाएगी.
शनि को मजबूत करने के लिए क्या करें?
मान्यता है कि शनि देव को प्रसन्न करने से शनि का प्रकोप कम होता है. ऐसे में प्रत्येक शनिवार शनि देव की विधि-विधान से पूजा करें. साथ ही शनि चालीसा और हनुमान चालीसा का पाठ करें. पीपल वृक्ष के नीचे सरसों तेल का दीया जलाएं. साथ ही साथ भगवान शिव की आराधना करें.
(नोट: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसकी पुष्टि नहीं करते है.)
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