बुरहानपुर: हर भारतीय महिला का सपना होता है कि अपने सपनों का एक छोटा सा घर हो यही इच्छा मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के रहने वाले डॉ प्रवीण इंगले की पत्नी श्रीमती सोनाली इंगले की भी थी. जिसके बाद डॉ प्रवीण इंगले कुछ नए तरह से घर बनाने की ठान ली. प्रवीण के एक मित्र पेशे से इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अपने दोस्त के सामने एक अलग तरह का घर बनाने की इच्छा रखी तो उसने कहा कि बुरहानपुर जिले में ठंड भी अच्छी होती है, बारिश भी अच्छी होती है और गर्मी भी बहुत पड़ती है. तो आपको कुछ इस तरह से मकान बनाना चाहिए कि यह मकान तीनों मौसम के साथ तालमेल बैठा पाए.
प्रवीण को उनके इंजीनियर मित्र ने बताया कि थर्माकोल की शीट से भी एक अच्छा मकान बनाया जा सकता है. जोकि अन्य सीमेंट और कंक्रीट के मकानों जैसा ही मजबूत होगा. प्रवीण जब स्कूल कॉलेज में पढ़ते थे तब वह थर्माकोल की शीट से आसानी से प्रोजेक्ट बनाया करते थे. उन्हें भी कंसेप्ट समझ में आया कई महीने उन्होंने इस पर काम और फिर रिसर्च की. जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को थर्माकोल की शीट से मकान बनाने की योजना बताई.
60 लाख की लागत 6 महीने में बना थर्माकोल का घर
शुरुआत में उनकी पत्नी को ये योजना नागवार गुजरी क्योंकि इस पर उनकी पत्नी का तर्क था कि थर्माकोल की शीट से मकान बन तो जाएगा, लेकिन ज्यादा समय तक टिकेगा नहीं और ना ही मजबूत होगा, लेकिन फिर उन्होंने अपनी पत्नी को विश्वास में लिया और कहा की ठीक है कुछ नया ट्राई करते हैं अगर नहीं जमा तो दूसरा मकान भी बना ही लेंगे. फिर उन्होंने इस पर अपने इंजीनियर मित्र की सहायता से काम करना शुरू किया. इसके लिए उन्होंने थर्माकोल की शीट चाइना से इंपोर्ट की और मुंबई से बुरहानपुर मंगाई.
थर्माकोल की शीट पर एक माइक्रो तारों से निर्मित जाली बनाई गई और जाली पर रेती और सीमेंट से प्लास्टर किया गया. डॉ प्रवीण इंगले बताते हैं कि यह मकान बनाने के लिए उन्हें 6 महीने का समय लगा. वही इसमें उन्हें टोटल लागत 60 लाख रुपए के लगभग आई है. लेकिन प्रवीण इंगले के लिए यह मकान का निर्माण करना इतना आसान भी नहीं था.
जब मकान बन रहा था तो आज पड़ोस के लोग और रिश्तेदार भी इस अद्भुत प्रयोग को देखने के लिए पहुंचते और उनसे कहते कि अन्य मकानों की तुलना में यह मकान मजबूत नहीं होगा और कैसे हो टिक पाएगा, लेकिन अपने मजबूत निर्णय और कुछ अलग करने के लिए जाने वाले डॉक्टर प्रवीण इंगले ने हार नहीं मानी और थर्माकोल की शीट से प्रदेश का सबसे ठंडा दो मंजिला मकान बनाकर तैयार कर लिया. डॉ प्रवीण इंगले बताते हैं कि 2800 स्क्वायर फीट में दो मंजिला मकान बनाया गया है.
पानी और लेबर का कम हुआ इस्तेमाल
थर्माकोल की शीट से मकान बनाने के लिए उसमें पानी और लेबर कम इस्तेमाल होता है. इसके लिए टेक्नीशियन और इंजीनियर की ज्यादा आवश्यकता होती है. वही आज यह मकान पूरी तरह से साउंडप्रूफ और गर्मी में ठंडक प्रदान करने वाला मकान है. जिससे बिजली पानी की भी बचत कर प्रकृति से तालमेल बैठाया जा सकता है डॉ प्रवीण इंगले बताते हैं कि गर्मी के दिनों में इस मकान में ऐसी या कूलर लगाने की आवश्यकता नहीं होती, तो वहीं ठंड के मौसम में भी ठंड से बचने के लिए रूम हीटर लगाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि थर्माकोल की सीट से निर्मित यह मकान गर्मी के दिनों में ठंडा और ठंड के दिनों में गर्म हो जाता है, क्योंकि थर्माकोल की प्रकृति ही कुछ ऐसी होती है.
दूसरे मकानों के मुकाबले मजबूत है ये मकान
डॉ प्रवीण इंगले की धर्मपत्नी सोनाली इंगले बताती है कि जब इस तरह से मुझे पता चला कि थर्माकोल की शीट से मकान बन रहा है तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ और मन में संशय भी था कि यह मकान इतने पैसे खर्च करने के बाद लंबे समय तक चलेगा या हमें दूसरे मकान में शिफ्ट होना पड़ेगा, लेकिन काफी रिसर्च और जानने के बाद पाया कि यह अन्य मकानों की तुलना में काफी अच्छा मकान है और आज रहते हुए हमें इस मकान में 6 वर्ष पूरे हो चुके हैं.
अन्य मकानों की तुलना में इसकी दीवारों में दरारें भी नहीं आई है और पूरी तरह से मन को शांति देने वाला यह मकान है. वही डॉ प्रवीण इंगले द्वारा बनाए गए प्रदेश के सबसे ठंडे थर्माकोल हाउस को देखने के लिए मध्यप्रदेश के ही नहीं अन्य प्रदेशों से भी लोग पहुंच कर आश्चर्यचकित हो रहे हैं और वो भी अब थर्माकोल से मकान बनाने की योजना बना रहे हैं. डॉक्टर प्रवीण इंगले बताते हैं कि महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले एक दंपत्ति मकान देखने के लिए पहुंचे थे.
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