नई दिल्ली: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने सर्वोच्च आय वर्ग पर टैक्स की ऊंची दरों में कटौती की योजना को वापस लेना का फैसला किया है. ब्रिटेन के वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग ने ट्वीट कर इस फैसले की सोमवार को जानकारी दी. उन्होंने करीब 10 दिन पहले ही उच्च टैक्स कटौती को खत्म करने की घोषणा की थी. इसके बाद उनकी पार्टी के अंदर ही कई सांसदों ने उनके इस फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद कर ली थी.
वित्त मंत्री ने सोमवार को कहा कि वह 1.5 लाख पाउंड से अधिक आय पर 45 फीसदी की दर से आयकर लगाने के प्रावधान को नहीं हटाएंगे. उन्होंने कहा, “हमने इस बारे में उठ रही आवाजों को सुन लिया है.” लिज ट्रस के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनका पहला बड़ा यू-टर्न है. यह टैक्स कट सरकार के एक नए ‘ग्रोथ प्लान’ का हिस्सा थे जिसकी घोषणा वित्त मंत्री ने 23 सितंबर को की थी. इस योजना में 45 अरब पाउंड की अलग-अलग टैक्स कटौतियां शामिल थीं. उच्च आय वाली टैक्स कटौती केवल 2 अरब पाउंड की थी. लेकिन पूरे प्लान में से सबसे बड़ी चर्चा का विषय यही बना था.
प्रधानमंत्री लिज ट्रस को इस घोषणा के बाद अपनी पार्टी के सांसदों समेत व्यापक स्तर पर विरोध झेलना पड़ रहा था. हालांकि, इसके बावजूद वे लगातार इसका समर्थन कर रही थीं. उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार इस योजना पर आगे बढ़ना जारी रखेगी. उन्होंने यह भी कहा था कि इस फैसले के पहले थोड़ी जमीन तैयार कर लेनी चाहिए थी. इस घोषणा के बाद ब्रिटेन के वित्तीय बाजार में काफी गिरावट देखने को मिली थी. डॉलर के मुकाबले पाउंड में अपने सबसे न्यूनतम स्तर 1.0327 के स्तर पर पहुंच गया था. हालांकि, सोमवार को इसमें 0.8 फीसदी तक की बढ़त दर्ज की गई.
भारत में 2.5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है. नई टैक्स रिजिम के तहत भारत में 7 टैक्स स्लैब्स हैं. 2.5-3 लाख रुपये और 3-5 लाख रुपये पर 5 फीसदी टैक्स लिया जाता है. इसमें आपके पास आयकर अधिनियम की धारा 87ए के तहत टैक्स रिबेट की सुविधा होती है. इसके बाद 5-7.5 लाख पर 10 फीसदी, 7.5-10 लाख पर 15 फीसदी, 10-12.50 लाख पर 20 फीसदी, 12.5-15 लाख पर 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगता है. उदाहरण से समझें तो अगर आप की आय 7.5 लाख रुपये सालाना है तो आपकी टैक्स देनदारी 75000 रुपये बनती है.
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