उज्जैन. उज्जैन (Ujjain) मंगल (Mangal) ग्रह की शांति (peace) के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां मंगलनाथ (Mangalnath) का मंदिर है. इस मंदिर में भात-पूजा (Bhaat Puja) कराई जाती है. मान्यता है कि इस पूजा के बाद मंगल ग्रह के दोष समाप्त हो जाते हैं. यही वजह है कि देश-विदेश से लोग इस पूजन के लिए यहां आते हैं. पर, 7 मई मंगलवार को यह पूजा मंदिर में नहीं होगी.
विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी एक अलग पहचान रखते हैं. इन्हीं में से एक मंगलनाथ मंदिर है. यहां देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु भात-पूजा कराने पहुंचते हैं. इतना ही नहीं, वर्ष 2023-24 में मंदिर को अलग-अलग मद से 9 करोड़ 89 लाख रुपए चढ़ावे के रूप में प्राप्त हुए, जिसमें सबसे अधिक पैसा भात-पूजा से आया है. उज्जैन में 3 से 7 मई तक पंचकोशी यात्रा चल रही है, जिसमें लाखों की संख्या मे श्रद्धालु उज्जैन में हैं. यह यात्रा 7 मई मंगलवार को समाप्त हो रही है. मंगलनाथ मंदिर प्रशासन ने अधिक भीड़ होने के कारण मंगलवार 7 मई को भात पूजन व पंचामृत पूजन मंदिर में कराने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
मंगलनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर अंगारेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है. जैसे मंगलनाथ मंदिर में बात भात पूजा का महत्व है. वैसे ही यहां पर भी भात पूजा होती है. पंचकोशी की भीड़ इस मंदिर के पिछले हिस्से तक ही पहुंचती है, इसलिए अंगारेश्वर महादेव मंदिर में मंगलवार को भात पूजा चालू रहेगी. बाबा महाकाल की नगरी में प्रतिदिन लाखों की संख्या मे श्रद्धालु आते हैं. वहीं, महाकालेश्वर मंदिर से कुछ दूरी पर मंगलनाथ मंदिर भी पहुंचते हैं. यह मंदिर में साल भर श्रद्धालु की भीड़ देखने को मिलती है, लेकिन मंगलवार को यहां भात-पूजा के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं. उज्जैन में भात पूजा का अत्यधिक महत्व है. महाकाल की नगरी में दो ही जगह भात पूजा होती है. पहला मंगलनाथ तो दूसरा अंगारेश्वर महादेव. यह पूजा मंगलवार के दिन होती है. लेकिन पंचकोशी यात्रा की भीड़ को देखते हुए 7 मई मंगलवार को मंगलनाथ मंदिर में भात पूजा नहीं होगी.
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