- अवैध कालोनाइजेशन और निर्माण रोकने के लिए निगमायुक्त ने लिखा कलेक्टर को पत्र… बायपास का सर्वे भी शुरू
इंदौर। कालोनी सेल (colony cell) की समीक्षा के दौरान जहां निगमायुक्त ने 8 कालोनाइजरों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करवाने की कड़ी कार्रवाई की, साथ ही बायपास (BAYPASS) को चौपट करने वाले निर्माणों का सर्वे भी शुरू करवाया। इसी कड़ी में योजना 140 स्थित एक मॉल को सील करने के नोटिस भी जारी किए। वहीं कलेक्टर (Collector) को पत्र लिखकर निगम (Muncipal) सीमा में खेती की जमीनों के टुकड़ों-टुकड़ों में होने वाले विक्रय के चलते नामांतरणों पर रोक लगाने की मांग भी की है, ताकि अनियोजित विकास और निर्माण न हो सके। इन दिनों इंदौर (Indore) के चारों तरफ तेजी से खेती की जमीनों पर कालोनाइजेशन शुरू हो गया है। टुकड़ों में खरीदी खेती की जमीन (Property) पर डायवर्शन, नगर तथा ग्राम निवेश से अभिन्यास मंजूर करवाने के साथ निगम से भी अनुमति ले ली जाती है, मगर उस पूरे क्षेत्र में सडक़, बिजली, पानी, ड्रेनेज से लेकर अन्य सुविधाओं का अभाव रहने के कारण बाद में प्लाट खरीदने वालों को परेशानी होती है।
लॉकडाउन (Lockdown)के बाद रियल एस्टेट (real estate) के कारोबार में अच्छी तेजी चल रही है और इंदौर (indore) नगर निगम (Muncipal Corporation) सीमा से 10 किलोमीटर आगे तक खेती की जमीनों के भाव आसमान पर पहुंच गए हैं और धड़ाधड़ भूखंड काटे जा रहे हैं, जिसके चलते आने वाले समय में चारों दिशाओं में अनियोजित विकास शुरू होगा। खासकर सुपर कॉरिडोर (super corridor) से लेकर बायपास, खंडवा रोड और अन्य इलाकों में कालोनाइजेशन बढ़ गया है। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने कालोनी सेल की समीक्षा करते हुए जहां अवैध कालोनी काटने वालों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई, वहीं बायपास का भी सर्वे शुरू करवाया है। दरअसल, कलेक्टर मनीषसिंह के निर्देश पर नगर तथा ग्राम निवेश ने कंट्रोल एरिया में मंजूर 22 अभिन्यासों को निरस्त कर दिया। उसके बाद अब नगर निगम भी मंजूर भवन अनुज्ञाएं निरस्त करने जा रहा है। इसके साथ ही निगमायुक्त के संज्ञान में यह तथ्य भी आए कि निगम सीमा चूंकि अब 29 गांवों तक है, वहां पर तेजी से टुकड़ों-टुकड़ों में खेती की जमीनों को खरीदकर उन पर प्लाटिंग की जा रही है। इसके चलते आने वाले समय में सडक़, बिजली, पानी, ड्रेनेज से लेकर अन्य मूलभूत सुविधाएं भूखंडधारकों को नहीं मिल सकेंगी। लिहाजा कल आयुक्त प्रतिभा पाल ने कलेक्टर को पत्र लिखकर कहा कि खेती की जमीनों को टुकड़ों-टुकड़ों में बेचा जा रहा है और खरीदार इन जमीनों पर विभिन्न प्रयोजनों के तहत नगर तथा ग्राम निवेश से अनुमति प्राप्त कर लेते हैं और डायवर्शन के बाद खरीदारों द्वारा नगर निगम से भी अनुमति हासिल कर ली जाती है, जिसके चलते इन क्षेत्रों में सडक़, ड्रेनेज सहित विभिन्न विकास कार्य नहीं हो पाते और उक्त क्षेत्र अवैध की श्रेणी में आ जाता है। ऐसे क्षेत्रों में सामुदायिक उपयोग की जमीनें भी नहीं छोड़ी जाती, लिहाजा कलेक्टर से अनुरोध किया गया कि इस तरह की जमीनों के नामांतरणों पर रोक लगाई जाए।
बिल्डर की कारजतानी… दुकानदार हो रहे परेशान
कालोनाइजर और बिल्डरों द्वारा नियमों को ताक पर रख निर्माण करने के साथ भूखंड, दुकानें बेच दी और किराए पर दे दी जाती हैं और बाद में खरीदार परेशान होते हैं। अभी योजना 140 में जोडियक मॉल को सील करने के नोटिस निगम ने दिए, जिसके चलते वहां दुकान चलाने वाले परेशानी में आ गए। इन लोगों ने निगम अधिकारियों से मुलाकात भी की, मगर निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी ने सलाह दी कि नियम अनुसार भवन पूर्णता और अधिभोग प्रमाण-पत्र हासिल करने के बाद ही दुकानों का संचालन किया जा सकेगा। नतीजतन बिल्डर की कारस्तानी से दुकानदार परेशान हो रहे हैं।