नई दिल्ली। करवा चौथ का त्योहार एक नवंबर यानी बुधवार को मनाया जाएगा। इस पर्व पर खरीदारी के लिए बाजारों में काफी रौनक दिख रही है। अनुमान है कि करवा चौथ पर देशभर में 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होगा। अकेले दिल्ली में करीब 1,500 करोड़ रुपये की खरीद-बिक्री होने की उम्मीद है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री ने बताया, करवा चौथ को लेकर पिछले कई दिनों से दिल्ली सहित देशभर के बाजारों में काफी गहमागहमी दिख रही है। इससे पता चलता है कि कोरोना जैसी चुनौतियों से उबरने के बाद लोगों की वित्तीय सेहत बेहतर हुई है। इस पूरे त्योहारी सीजन में खर्च करने को लेकर लोगों की धारणा बेहतर दिख रही है।
इसलिए, रक्षाबंधन और नवरात्र की तरह इस बार करवाचौथ पर भी पिछले साल की तुलना में अधिक कारोबार होने का अनुमान है। पिछले साल करवा चौथ पर पूरे देश में करीब 11,000 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। वहीं, दिल्ली के लोगों ने इस पर्व पर करीब 1,100 करोड़ खर्च किए थे।
25% तक रहेगी सोने-चांदी की हिस्सेदारी कुल बिक्री में
कैट के मुताबिक, करवा चौथ पर देशभर में होने वाले कुल कारोबार में सोने-चांदी के आभूषणों की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी रहने की उम्मीद है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया कि इस करवा चौथ पर परिधानों पर सबसे अधिक खर्च होने का अनुमान है। 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के कुल कारोबार में वस्त्रों एवं साड़ियों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 35 फीसदी रह सकती है। पूजा सामग्री व्यापार की हिस्सेदारी 10 फीसदी, मेहंदी की 10 फीसदी, मिठाइयां व अन्य की 10 फीसदी, बर्तन की 5 फीसदी और फूल कारोबार की हिस्सेदारी 5 फीसदी रहने का अनुमान है।
चांदी के करवे की बाजार में अधिक मांग
छलनी, दीया व पूजा से जुड़ीं सामग्रियों के अलावा इस बार चांदी से बने करवे की भी बाजार में अधिक मांग है।
दिवाली पर 3.5 लाख करोड़ की बिक्री संभव
दिवाली पर इस बार देशभर में करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये के व्यापार की उम्मीद है। कैट के विभिन्न राज्यों के 30 शहरों में व्यापारी संगठनों के जरिये कराए गए हालिया सर्वे के मुताबिक, दिवाली पर करीब 65 करोड़ लोग खरीदारी करते हैं। प्रति व्यक्ति औसत खरीद 5,500 रुपये भी मान लिया जाए तो यह आंकड़ा 3.5 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच जाएगा।
वोकल फॉर लोकल का असर इस बार चीन से आयात नहीं
खंडेलवाल ने बताया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू किए गए वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान की वजह से इस बार व्यापारियों ने त्योहारों पर बिकने वाला कोई भी सामान चीन से आयात नहीं किया है। ग्राहक भी चीनी सामान नहीं लेना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि सीमा पर तनाव के बाद चीन के उत्पादों की मांग में बड़ी गिरावट आई है। इस साल त्योहारी सीजन में चीन का कोई भी सामान बाजारों में नहीं बिकेगा।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved