डेस्क: मिडिल ईस्ट इस समय एक बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रहा है, जहां कई मोर्चों पर जंग की स्थिति बनी हुई है, खासकर इजरायल और उसके विरोधी गुटों जैसे हिज्बुल्लाह और हमास के बीच. इजरायल की तरफ से लगातार सैन्य कार्रवाइयां चल रही हैं, जिसमें हिज्बुल्लाह के प्रमुख कमांडरों और नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है. इस बीच, अमेरिका और कुछ अरब देशों ने क्षेत्रीय तनाव को कम करने के लिए ईरान के साथ बैकडॉर बातचीत शुरू कर दी है, ताकि पूरे मिडिल ईस्ट में चल रही कई लड़ाइयों को एक साथ रोका जा सके.
हालांकि, इजरायल इस बैकडॉर बातचीत का हिस्सा नहीं है, लेकिन उन्हें इसके बारे में अवगत करा दिया गया है. इजरायल की तरफ से फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि वह इन शांति वार्ताओं को किस नजरिए से देखता है. इजरायल का मानना है कि युद्धविराम उसकी शर्तों पर होना चाहिए, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण शर्त हिज्बुल्लाह के सैन्य ठिकानों का पूर्णतः नष्ट होना है.
हिज्बुल्लाह के डिप्टी लीडर नईम कासिम ने हाल ही में स्पष्ट किया कि उनका संगठन हमास और फिलिस्तीन के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा. अगर इजरायल ने अपनी कार्रवाइयां जारी रखता है तो इसका फैसला युद्ध के मैदान में ही होगा. कासिम ने लेबनान के संसद अध्यक्ष नबीह बेरी के बिना शर्त युद्धविराम के प्रस्ताव का समर्थन किया, जो शांति प्रयासों की अगुवाई कर रहे हैं.
इजरायल ने हिज्बुल्लाह के खिलाफ कई प्रमुख हमले किए हैं, जिसमें हिज्बुल्लाह के सर्वोच्च कमांडर फौद शुक्र, सदर्न फ्रंट के कमांडर अली कराकी, और ऑपरेशन रेड के प्रमुख इब्राहिम अकील सहित संगठन के कई वरिष्ठ अधिकारी मारे गए हैं. यहां तक कि हिज्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह के संभावित उत्तराधिकारी हाशिम सफीद्दीन भी इजरायली हमलों में मारे गए हैं.
ये साफ है कि इजरायल फिलहाल पीछे हटने के मूड में नहीं है और अपनी सैन्य स्थिति को और मजबूत करने पर जोर दे रहा है, जबकि दूसरी ओर हिज्बुल्लाह और ईरान समर्थित गुट शांति वार्ताओं के प्रति सकारात्मक संकेत दे रहे हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका और अरब देशों की मध्यस्थता क्या किसी ठोस शांति प्रस्ताव को जन्म दे पाएगी या फिर मिडिल ईस्ट में यह तनाव और बढ़ेगा.
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