उज्जैन। ट्रेनों में जल्दी ही सामान्य दर्जे का किराया पहले की तरह होने वाला है। लोकसभा चुनाव के पहले आम लोगों को राहत देने के लिए रेलवे इसे मार्च के पहले सप्ताह में लागू कर सकती है। इससे सामान्य दर्जे के यात्रियों को काफी राहत मिलेगी।
कोविड के वक्त साल 2020 में ट्रेनें बंद हुई थी। जब दोबारा ट्रेनों को शुरू किया तो सामान्य दर्जे का यात्री किराया बढ़ा हुआ था। कोविड बाद रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनों को एक तरीके से खत्म कर दिया और न्यूनतम टिकट की कीमत 10 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये कर दी, इसे एक्सप्रेस ट्रेन के किराए के साथ जोड़ दिया गया। इसे आप इस तरह समझ सकते हैं कि कोविड के पहले 10 रुपए के किराये में लोकल ट्रेन से नागदा पहुँचने वाले यात्री को कोविड के बाद उसी लोकल ट्रेन से जाने पर 30 रुपए चुकाना पड़ते थे। इसी तरह रतलाम का टिकट भी 25 रुपए से बढ़कर 45 रुपए हो गया था। यह कदम उठाने के पीछे रेलवे का तर्क था कि टिकट महंगा होने के कारण पैसेंजर ट्रेनों में यात्रियों की भीड़ कम होगी, जिससे कोविड गाइड लाइन का पालन हो सकेगा। कोरोना काल समाप्त होने के बाद से ही यात्रियों की ओर से पैसेजर ट्रेनों के किराए घटाने की माँग चल रही थी, जिसे अब सरकार की ओर से पूरा कर दिया गया है। लोकसभा चुनाव से पहले सरकार की ओर से रेलवे यात्रियों को बड़ी राहत दी जा रही है। रेलवे द्वारा पैसेंजर ट्रेन के किरायों को प्री-कोविड स्तर पर ला दिया है। सरकार के इस कदम से पैसेंजर ट्रेन के किराये में 40 से 50 प्रतिशत तक की कटौती हो जायेगी। किराया कटौती के तहत, सभी मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू) ट्रेनों और जीरो से शुरू होने वाले नंबर वाली ट्रेनों पर साधारण श्रेणी के किराए में लगभग 50 प्रतिशत की कटौती होगी। किराये में यह कटौती पहले पैसेंजर ट्रेनों के रूप में वर्गीकृत सभी ट्रेनों पर लागू होगी, जो अब देश भर में एक्सप्रेस स्पेशल या मेमू ट्रेनों के रूप में चल रही हैं।
आदेश का इंतजार
रतलाम रेलवे मंडल के डीआरएम रजनीश कुमार ने बताया कि रेलवे बोर्ड के निर्णय के बारे में पता चला है लेकिन अभी आदेश नहीं आये हैं। आदेश आते ही लागू कर दिया जायेगा।