नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सीबीआई (CBI) को तमिलनाडु (Tamil Nadu) के तंजावुर (Thanjavur) में कथित रूप से मिशनरी स्कूल ( Missionary School) द्वारा ईसाई धर्म (Christianity) अपनाने का दबाव डाले जाने पर छात्रा के आत्महत्या (Student Suicide) करने के मामले की जांच करने की अनुमति दे दी। जस्टिस संजीव खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी (Justice Bela M Trivedi) की पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) के आदेश को चुनौती देते हुए तमिलनाडु के डीजीपी द्वारा दायर अपील पर नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में दो पहलू हैं- एक, आक्षेपित फैसले में कुछ टिप्पणियां दर्ज हैं और दूसरा सीबीआइ द्वारा जांच का निर्देश देने वाले अंतिम आदेश के संबंध में है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सीबीआइ जांच में दखल देना उसके लिए उचित नहीं होगा लेकिन वह पहले पहलू पर नोटिस जारी करेगी। पीठ ने कहा कि जारी नोटिस तीन सप्ताह में वापस किया जा सकता है। इस बीच, जांच जारी रखने के आदेश के संदर्भ में जांच जारी रहेगी।
तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए। हाईकोर्ट ने 31 जनवरी को मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि इस कोर्ट का कर्तव्य है कि वह बच्चे को मरणोपरांत न्याय प्रदान करे। पूर्वगामी परिस्थितियों को संचयी रूप से लेने से निश्चित रूप से यह धारणा बनेगी कि जांच सही तर्ज पर आगे नहीं बढ़ रही है।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि चूंकि एक उच्च पदस्थ माननीय मंत्री ने स्वयं एक स्टैंड लिया है, इसलिए राज्य पुलिस के साथ जांच जारी नहीं रह सकती। इसलिए मैं निदेशक, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ), नई दिल्ली को निर्देश देता हूं कि वह एक अधिकारी को जांच का जिम्मा सौंपे। जज ने कहा कि सीबीआइ स्वतंत्र जांच करेगी और इस आदेश में की गई किसी भी टिप्पणी को ध्यान में नहीं रखेगी।
ईसाई मत अपनाने के लिए स्कूल की ओर से डाला जा रहा था दबाव
उल्लेखनीय है तंजावुर के मिशनरी स्कूल की 17 वर्षीय छात्रा अरियालुर जिले की रहने वाली थी। उसने कुछ दिन पहले आत्महत्या कर ली थी। हास्टल में रहने वाली इस छात्रा को कथित तौर पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया था। इस सिलसिले में एक वीडियो क्लिप वायरल हुई थी। हालांकि स्कूल प्रबंधन ने आरोपों को खारिज करते हुए निहित स्वार्थी तत्वों को दोषी ठहराया था।
अदालत ने कहा कि पीड़िता के पिता ने सीबी-सीआइडी जांच की मांग की, लेकिन अंतिम सुनवाई में मूल प्रार्थना को छोड़ दिया गया और जांच सीबीआइ को हस्तांतरित करने का अनुरोध किया गया।पुलिस के बयान के साथ-साथ न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने बयान में, लड़की ने सीधे और स्पष्ट शब्दों में हास्टल वार्डन पर गैर-शैक्षणिक काम सौंपने का आरोप लगाया था। इस काम को पूरा करने में असमर्थ रहने पर उसने कीटनाशक का पी लिया था। बयान के आधार पर छात्रावास की वार्डन सिस्टर सहयामरी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है।
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