- पूर्व में भी कई गाय संदिग्ध हालातों में गंवा चुकी हैं जान, कलेक्टर के आदेश के बाद जांच शुरु
भोपाल। बैरसिया के बसई गांव में भाजपा नेत्री निर्मला देवी द्वारा संचालित गौ शाला में उसके लोगों के अलावा आम लोगों की आवाजाही पर रोक थी। गांव के लोगों को भी गौ शाला के इलाके में इंट्री नहीं थी। पूर्व में भी गौ शाला में कई गाय संदिग्ध हालातों में दम तोड़ चुकी हैं। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि जिसने भी गाय की संदिग्ध मौत पर सवार खड़े किए उसके खिलाफ भाजपा नेत्री अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मुकदमा दर्ज करा दिया करती थी। ग्रामीणों का दावा है कि महिला आधा दर्जन से अधिक लोगों पर छेड़छाड़,मारपीट और अड़ीबाजी जैसी गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज करा चुकी है। इसी डर से लोग गौ शाला परिसर में प्रवेश करने में डरते थे।
स्थानीय रहवासी कल्याण गुर्जर ने बताया कि निर्मला देवी की गौ शाला में पूर्व में भी गाय की संदिग्ध मौत हो चुकी है। वर्ष 2020 में करीब दर्जन भर गाय ने संदिग्ध हालातों में दम ताड़ा था। गांव वालों ने विरोध किया तो उन्होंने मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी। पूर्व में वह आधा दर्जन से अधिक लोगों पर छेडख़ानी सहित मारपीट व अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करा भी चुकी हैं। उल्लेखनी है कि बैरसिया में भाजपा नेत्री निर्मला देवी शांडिल्य की गौशाला में रविवार को कई गायों की मौत हो गई। गौशाला में बने कुएं में 20 गायों के शव मिले हैं। 80 से ज्यादा गायों के शव और कंकाल मैदान में पड़े मिले हैं। 8 गायों की मौत शनिवार को ही हुई है। इसकी जानकारी लगने के बाद मौके पर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए। संचालिका निर्मला देवी पर केस दर्ज हो गया है। वहीं प्रशासन ने गौशाला का संचालन अपने हाथ में ले लिया है। विरोध को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया है। निर्मला देवी 20 साल से गौशाला का संचालन कर रही हैं। इधर, निर्मला देवी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं भाजपा की नेता हूं। 30 साल से सक्रिय कार्यकर्ता रही हूं। भाजपा से ब्लॉक अध्यक्ष रही हूं। मंडी सदस्य भी रही हूं। पहले मंडी वाली और अब गौशाला वाली मैडम के नाम से जानी जाती हूं। ठंड के कारण 3-4 गायें मर गई हैं। हम कितना ध्यान दें। पन्नी (पॉलीथिन) के कारण मौत हो जाती हैं। मैं बुजुर्ग महिला हूं। मुझे परेशान किया जा रहा है। जो आरोप लगा रहे हैं, वो हमारे विरोधी हैं। हमारे पास 400 गायें हैं। अधिकतर गायें किसानों की हैं।