बेंगलुरु । कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार (Karnataka Deputy CM DK Shivakumar) ने माना कि आदिवासी कल्याण बोर्ड में (In the Tribal Welfare Board) धन का दुरुपयोग और फंड की हेराफेरी हुई (There was Misuse and Misappropriation of Funds) ।
शिवकुमार ने मंगलवार को बेंगलुरु में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “यह सच है कि आदिवासी कल्याण बोर्ड में अधिकारियों ने धन का दुरुपयोग किया और फंड की हेराफेरी की। हमने इस संबंध में अपने मंत्रियों से बात की है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे इस तरह के किसी भी घोटाले में शामिल नहीं हैं। हमारे एक मंत्री ने स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया। मंत्री होने के नाते जांच का सामना करना ठीक नहीं है। मुझे पता चला है कि उन्हें अधिकारियों के सामने पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया है। मैं इसमें हस्तक्षेप नहीं करूंगा, उन्हें जांच करने दीजिए।” शिवकुमार ने दावा किया, “हमारे मंत्रियों और विधायकों की इसमें कोई संलिप्तता नहीं है। कुछ दूसरे लोग इसमें शामिल हैं। हम स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के पक्ष में हैं।”
इस बीच, बोर्ड के प्रबंध निदेशक और सातवें आरोपी पद्मनाभ और आठवें आरोपी परशुराम का कथित तौर पर एक ऑडियो क्लिप सामने आया है। ऑडियो क्लिप में परशुराम को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उन्हें इस मामले को बोर्ड के अध्यक्ष, कांग्रेस विधायक बसवराज दद्दाल के संज्ञान में लाना चाहिए। पद्मनाभ ने जवाब दिया कि अगर अभी बताया गया तो बवाल मच जाएगा और उन्होंने उन्हें कुछ दिन और चुप रहने के लिए कहा। पद्मनाभ ने यह भी कहा कि वह “मंत्री और उनके निजी सहायक के दबाव में थे और इसलिए ऐसा किया गया”।
भाजपा इस घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की सीधी संलिप्तता का आरोप लगा रही है। भाजपा ने कहा है कि आदिवासी कल्याण बोर्ड के 187 करोड़ रुपये के फंड का इस्तेमाल तेलंगाना और अन्य राज्यों में चुनावों के लिए किया गया। यह घोटाला वरिष्ठ अधिकारी चंद्रशेखरन की आत्महत्या के बाद सामने आया था। उन्होंने एक डेथ नोट छोड़ा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें “मंत्री के मौखिक निर्देश” के आधार पर निगम के प्राथमिक खाते से पैसे निकालने के लिए एक समानांतर खाता खोलने के लिए मजबूर किया था।
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