उज्जैन। शहर की गलियों से लेकर मुख्य सड़कों और हाईवे तक 45 हजार पोल पर एलईडी लगाकर शहर को रौशन करने का दावा झूठा साबित हो रहा है। आगर रोड एमआर-5 मार्ग की आधी से ज्यादा स्ट्रीट लाईटें कई महीनों से बंद पड़ी है और सेंटपाल स्कूल के आगे से लेकर मक्सी रोड रेलवे क्रॉसिंग तक अंधेरा पसरा है। रात में यहां दुर्घटनाओं का खतरा गहराता जा रहा है। स्मार्ट सिटी कंपनी ने दो साल पहले नगर निगम के साथ मिलकर शहर की गलियों से लेकर मुख्य सड़कों और हाईवे तक 45 हजार पोल पर एलईडी लगाकर शहर को रौशन करने का दावा का दावा किया था। यह भी कहा गया था कि पुराने सोडियम लैंप हटाकर नईएलईडी लगने से नगर निगम को हर महीने आने वाला बिजली का भारी भरकम बिल भी कम हो जाएगा और सड़कें और बायपास मार्ग रात में दुधिया रोशनी से नहाए नजर आएंगे।
बताया गया था कि सिंहस्थ 1992 के दौरान शहर के 45 हजार से ज्यादा बिजली के खम्बों पर 96 वॉल्ट के सोडियम लैंप और 40 वॉल्ट की टयूबलाईटें लगाई गई थी। इसके कारण शहर के 45 हजार खम्बों को रोशन करने के लिए नगर निगम को हर महीने 1 करोड़ 25 लाख रुपए हर महीने बिजली का बिल चुकाना पड़ रहा था। इन्हें हटाकर एलईडी लगाई जा रही है और उससे एक पोल पर 6 वॉल्ट ऊर्जा की बचत होगी और बिजली के बिल की राशि काफी कम हो जाएगी। शहर के मुख्य मार्गों पर डिवाइडरों के पोल पर भी एलईडी लाईटें लगाई गई। लेकिन आगर रोड और एमआर-5 मार्ग के अलावा देवास रोड और इंदौर रोड पर भी यह प्रयोग अभी तक फैल साबित हो रहा है। क्योंकि जहां एलईडी चालू है वहां सिर्फ खम्बे के आधार के आसपास ही सीमित दायरे में लाईट नजर आती है। बाकी आसपास अंधेरा पसरा रहता है। एमआर-5 मार्ग पर तो सेंटपाल स्कूल से लेकर मक्सी रोड रेलवे क्रॉसिंग ब्रिज तक लगी सेंट्रल स्ट्रीट लाईटें कई महीनों से पूरी तरह बंद पड़ी है।
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