नई दिल्ली। दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन मे अब दर्रार पड़ती नजर आ रही है। अगले साल पंजाब में होने वाले विधानसभा के चुनावों (Punjab Elections) को लेकर हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Chaduni) ने पिछले दिनों बयान दिया था । इस बयान मे उन्होंने कहा था कि किसान संगठनों (Farmer Unions) को ये चुनाव लड़ने चाहिए। इस बयान पर हुए विवाद के बाद अब उन्होंने चेतावनी दी है कि वह संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की भविष्य में होने वाली सभी बैठकों का बहिष्कार करेंगे।
गुरनाम सिंह चढूनी ने अपने फेसबुक पेज पर एक विडिओ पोस्ट किया है। उसमें उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य सदस्यों पर आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ भेदभाव किया है, जबकि अन्य नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जो इसी तरह की टिप्पणी कर रहे थे और राजनीतिक इरादा व्यक्त कर रहे थे।
संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य नेताओं के खिलाफ आरोप लगाते हुए चढूनी ने शनिवार की बैठक का बहिष्कार किया था। उन्होंने मोर्चा पर उनकी शिकायतों की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया। ‘मिशन पंजाब’ के बारे में सार्वजनिक रूप से घोषणा करने, लोगों से मिलने और किसानों को चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें पहले ही जुलाई में निलंबित कर दिया गया था।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, वह बैठकों में लिए गए सभी निर्णयों का पालन करना जारी रखेंगे और उनका इरादा आंदोलन को कमजोर करने का नहीं है। पिछले दिनों संयुक्त किसान मोर्चा ने चढूनी को पंजाब चुनाव के संबंध में दिए गए उनके बयान को लेकर सात दिनों के लिए निलंबित कर दिया था। उन्होंने अपने निलंबन पर प्रतिक्रिया देते हुए एक वीडियो संदेश में कहा था, ‘पंजाब में प्रदर्शनकारी, ईमानदार लोगों, मजदूरों, किसानों और छोटे दुकानदारों को अपनी सरकार बनानी चाहिए और पारंपरिक पार्टियों को हराना चाहिए। ऐसा करके इसे देश के सामने एक मॉडल के रूप में पेश करें। आज हमें एक दल से दूसरे दल में शासन बदलने की जरूरत नहीं है, बल्कि व्यवस्था को बदलने की जरूरत है और सत्ता से व्यवस्था को बदला जा सकता है।’
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