सोनीपत । गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान जिस तरह बवाल हुआ और लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराया गया, उससे आंदोलन में दरार पड़नी शुरू हो गई है। हरियाणा के खाप प्रतिनिधि और किसान नेताओं ने इस पर नाराजगी जता साफ कहा है कि तिरंगे की जगह धार्मिक झंडा किसी भी हालत में मंजूर नहीं है। वहीं इस घटनाक्रम से नाराज हरियाणा के काफी किसान जहां घर लौट गए हैं, वहीं खाप पंचायतें भी आंदोलन से सर्मथन वापसी का मन बना रही हैं।
हरियाणा के खाप प्रतिनिधियों ने जल्द ही सर्वखाप पंचायत कर किसान संगठनों को समर्थन पर फैसला लेने की बात कही है। खाप प्रतिनिधियों ने साफ कहा कि किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करेंगे कि लाल किले पर तिरंगे की जगह कोई धार्मिक झंडा फहराया जाए। देश की एकता और अखंडता को तोड़ने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है। वहीं हरियाणा के किसानों ने साफ कहा कि उन्हें पहले पता होता कि आंदोलन की आड़ में ऐसा बवाल हो सकता है तो वह आंदोलन में शामिल ही नहीं होते।
खापों ने आंदोलन को केवल इसलिए समर्थन दिया था कि वह भाईचारे के साथ शांतिपूर्ण तरीके से चलाया जाएगा। लेकिन जिस तरह से आंदोलन की आड़ में बवाल हुआ है और लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराया गया। यह किसी भी हालत में मंजूर नहीं होगा और इस तरह आंदोलन में होता है तो समर्थन की बात ही नहीं बनती है।
– सुरेंद्र दहिया, प्रधान दहिया खाप।
जिस तरह से दिल्ली में बवाल हुआ है और लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराया गया है। इसे देश किसी भी हालत में मंजूर नहीं करेगा और इसका संदेश भी काफी गलत गया है। इस तरह की घटना से किसान नेताओं पर किसानों का विश्वास कम हुआ है और वह घर वापसी कर रहे हैं।
– राजेश दहिया, अध्यक्ष, राष्ट्रीय किसान आरक्षण संघर्ष समिति।
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