इंदौर। पिछले मंगलवार को दिव्यांग के प्रति संवेदना दिखाते हुए कलेक्टर ने नियमों को शिथिल कर स्कूटी देने की घोषणा की, लेकिन अधिकारी ने उसे हलके में ले लिया। आयोजित बैठक में जब कलेक्टर ने मामले की प्रोग्रेस जानकारी चाही तो अधिकारी जवाब नहीं दे पाए। कलेक्टर की फटकार के बाद पांच घंटे में स्कूटी दिव्यांग को सौंप दी गई।
दिव्यांग को लेकर एडीएम पवन जैन पर हुई कार्रवाई के बाद भोपाल से लेकर इंदौर तक आला अधिकारियों और मंत्रियों की संवेदना और सतर्कता बढ़ गई है। इसका उदाहरण कल कलेक्टर कार्यालय में आयोजित बैठक में देखने को मिला। पिछले मंगलवार जनसुनवाई के दौरान जानकीबाई की मांग पर कलेक्टर ने नियमों को शिथिल कर रेडक्रास सहायता के माध्यम से तीन पहिया पेट्रोल वाहन देने की घोषणा की और जल्द से जल्द हितग्राही को उपलब्ध कराने की घोषणा की थी, लेकिन अधिकारियों ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया, जिसके बाद कलेक्टर इलैया राजा टी मामले की गंभीरता को समझते हुए अधिकारी पर भडक़ उठे। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को लेकर इंदौर में भी इतनी बड़ी कार्रवाई देखी जा चुकी है, उसके बावजूद यह रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सामाजिक न्याय विभाग की अधिकारी सुचिता तिरकीबेग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को लेकर आपकी संवेदनाएं कहां गईं। दिव्यांग और बुजुर्गों को लाभ दिलाना आप सभी अधिकारियों की पहली प्राथमिकता होना चाहिए। तनख्वाह उन्हीं के कामों को करने के लिए दी जा रही है, बैठे रहने के लिए नहीं।
पैसा शासन दे रहा तो काम क्यों नहीं
एक सप्ताह के बाद भी मामले को लेकर कोई प्रोग्रेस न देखकर कलेक्टर भडक़ उठे और कहा कि पैसा जब मेरे माध्यम से दिया जा रहा है, रेडक्रास सोसायटी इसकी व्यवस्था कर रही है तो काम करने में क्या परेशानी है। अधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि शाम पांच बजे तक वाहन कलेक्टर कार्यालय में खड़ा मिलना चाहिए। कलेक्टर की कड़ी फटकार के बाद आनन-फानन में विभाग सक्रिय हुआ और शाम छह बजे तक 80 हजार की स्कूटी खरीदकर लाई गई। दिव्यांग जानकी को बुलाकर हाथोहाथ वाहन सौंपा गया। हालांकि उस पर तीन पहिया और ट्राली कसाने का काम आज किया जाएगा।
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