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BJP के साथ जाने से नुकसान हुआ, कांग्रेस को सपोर्ट करने को तैयार दुष्यंत चौटाला

डेस्क: विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा में सियासी समीकरण तेजी से बदलता दिख रहा है. हरियाणा के पूर्व डिप्टी-सीएम और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला ने अपना इरादा साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी अब भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. दुष्यंत चौटाला ने इसकी शुरुआत हरियाणा की एक राज्यसभा सीट के चुनाव से की है. लोकसभा चुनाव में अलग राह अपनाने के बाद उन्होंने अब ये ऐलान किया है कि उनकी पार्टी इस सीट के लिए कांग्रेस को समर्थन देने को तैयार है.

हालांकि दुष्यंत चौटाला ने इसके लिए कांग्रेस पार्टी के सामने एक शर्त भी रखी है. दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि कांग्रेस अगर प्रदेश के किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति, कॉमनवेल्थ या ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट खिलाड़ी को राज्यसभा चुनाव के लिए संयुक्त उम्मीदवार बनाए तो उनकी पार्टी समर्थन देने को तैयार है.

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि आगे से अब भाजपा के साथ जाने का कोई औचित्य नहीं बनता. उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ जाने से उनकी पार्टी को बहुत नुकसान हुआ है. दुष्यंत चौटाला ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी नये सिरे से प्रदेश में अपना जनाधार तैयार करेगी. इसके जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें आयोजित करेगी. उन्होंने ऐलान किया कि हरियाणा के सभी 22 जिलों में उनकी पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए जल्द ही रणनीतियों पर काम करेगी.


दुष्यंत चौटाला हरियाणा की मौजूदा सरकार पर भी लगातार हमलावर हैं. उन्हो्ंने प्रदेश की कानून व्यवस्था से लेकर नीट पेपर लीक को लेकर भी बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि पेपर लीक गंभीर मसला है, सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में इस मामले की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पेपर लीक पर रोक नहीं लगी तो प्रतिभाशाली छात्रों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा.

हरियाणा में करीब साढ़े चार साल तक साथ-साथ सरकार चलाने के बाद बीजेपी और जेजेपी का रिश्ता लोकसभा चुनाव से पहले पिछले मार्च में ही टूट गया था. मनोहर लाल खट्टर ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद नायब सिंह सैनी प्रदेश के नये मुख्यमंत्री बने. इसी घटनाक्रम के बाद हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी के रिश्ते में दरार आ गई. और दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम का पद गंवाना पड़ा. बाद में उन्होंने चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि बीजेपी और जेजेपी के बीच सीट शेयरिंग को लेकर समझौता नहीं हो सका था.

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