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    मध्‍य प्रदेश के जल संसाधन विभाग में हुआ बड़ा घोटाला, शिवराज ने खुलवाई कमलानाथ सरकार की फाइलें

  • July 29, 2021

    भोपाल। मध्य प्रदेश (MP) में जल संसाधन विभाग(Department of Water Resources) अब घोटालों (SCAM) का विभाग बन गया है. भाजपा(BJP) की सरकार हो या फिर कांग्रेस (Congress) की, दोनों की नजर इस विभाग पर रही. जिस की सरकार रही उसने अपने से पहले वाली सरकार के दौरान हुए घोटालों की फाइल खुलवा डालीं. अब बारी बीजेपी की है और वो कमलनाथ सरकार(Kamal Nath Government) के दौरान हुए घोटाले की जांच करवा रही है.
    इस घोटाले की जद में पूर्व चीफ सेक्रेटरी (former chief secretary) आ गए हैं. नियम विरुद्ध 850 करोड़ का कुछ कंपनियों को एडवांस भुगतान किया गया था. ईओडब्लू (EOW) के हाथ घोटाले की नोटशीट लगी है जिसके आधार पर कई बड़े जिम्मेदार जांच की जद में आ जाएंगे.



    जल संसाधन विभाग में हुए घोटाले की जांच EOW ने तेज कर दी है. विभाग के इंजीनियर्स और अधिकारियों के खिलाफ पुलिस FIR दर्ज करने की तरफ बढ़ रही है. EOW ने विभाग के ईएनसी राजीव कुमार सुकलीकर को नोटिस भेजकर बयान दर्ज करने के लिए बुलाया था. लेकिन सुकलीकर ने आने में असमर्थता जाहिर करते हुए समय मांगा है. यह 3 हजार 333 करोड़ रुपए के टेंडर में निजी कंपनियों को 850 करोड़ का एडवांस भुगतान करने का मामला था. जल संसाधन विभाग से मिले दस्तावेजों की जांच में EOW को पता चला है कि विभाग के ईएनसी ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में तय शर्तों को बदलकर निजी कंपनियों को 850 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान कर दिया था.
    EOW के हाथ वो नोटशीट भी लग गई है जिसमें ईएनसी ने लिखा था कि शासन के निर्देशों के आधार पर अग्रिम भुगतान की अनुमति दी जाती है. अब ईएनसी से पूछा जाएगा कि शासन मतलब किसके निर्देशों के आधार पर उन्होंने भुगतान की अनुमति दी थी.

    कमलनाथ सरकार के दौरान टेंडर में करोड़ों के घोटाले का आरोप
    कमलनाथ सरकार के दौरान जल संसाधन विभाग के टेंडर में करोड़ों के घोटाले का आरोप लगा था. इसमें तत्कालीन जल संसाधन मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम सामने आया था. लेकिन कुछ महीनों बाद सरकार बदल गई और अब बीजेपी की सरकार है तो फिर जल संसाधन विभाग में एडवांस पेमेंट करने का घोटाला ओपन हुआ है. एक बार फिर से मध्य प्रदेश की सियासत जल संसाधन घोटाले को लेकर गरमा गई है.

    जांच की जद में पूर्व CS
    इस एडवांस भुगतान में कई बड़े अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है. विभाग के प्रमुख एस एन मिश्रा ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को इसकी जानकारी दी थी. जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास यह मामला आया तो उन्होंने जांच के आदेश दिए. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने इंजीनियर्स और अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए ईओडब्ल्यू को मंजूरी दी थी.

    ऐसे हुआ खुलासा
    जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस एन मिश्रा ने इस घोटाले का खुलासा किया था. उनके अनुसार अगस्त 2018 से फरवरी 2019 के बीच सिंचाई प्रोजेक्ट के आधार पर बांध और हाई प्रेशर पाइप नहर बनाने के लिए 3333 करोड़ रुपये के सात टेंडर्स को मंजूरी दी गई थी. टर्न के आधार पर मंजूर टेंडर्स मुख्य रूप से बांध निर्माण और जलाशय से पानी की आपूर्ति के काम के लिए थे. इसके लिए निर्धारित प्रेशर पंप हाउस, प्रेशराइज्ड पाइप लाइन के साथ-साथ नियंत्रण उपकरण लगाकर पानी सप्लाई की जाना थी. उसी दौरान मुख्य अभियंता गंगा कहार रीवा सरकार के संज्ञान में ये बात लाए कि गोंड मेगा प्रोजेक्ट के लिए शासन के 27 मई 2019 के आदेश में पेमेंट शेड्यूल के नियम को शिथिल कर एडवांस भुगतान कर दिया गया. इसके बाद शासन ने इसकी छानबीन की तो पता चला शासन ने भुगतान के संबंध में ऐसी कोई छूट नहीं दी थी.

     

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