• img-fluid

    150 लोगों का ज़ोर लगता था तब उठता था 11 मंजिला सरकारी ताजिया

  • August 20, 2021

    • बातें ताजिए की… यादें होलकर काल की
    • 500 साल पुरानी है सरकारी ताजिये की परम्परा, पहले राजबाड़ा के ठीक सामने था इमामबाड़ा, महाराजा ताजिये को चढ़ाते थे लोभान

    इंदौर। इंदौर (Indore) में ताजियों (Tradition) की परंपरा 500 साल प्राचीन है। होलकर रियासत (Holkar State) में हिंदू-मुस्लिम (Hindu-Muslim) को हमेशा बराबरी का दर्जा हासिल रहा। होलकर शासकों की सभी समुदायों के उत्सव त्योहारों (Festival) में समान आस्था रही। होलकरों ने आड़ा बाजार कार्नर पर अन्ना भैया पान भंडार और कोहिनूर होटल के बीच इमामबाड़े का निर्माण करवाया जो बाद में गोपाल मंदिर के नजदीक जूने राजवाड़े के पीछे स्थानांतरित कर दिया गया।

    होलकर शासन की तरफ से 11 मंजिला आकार का 51 फीट के ताजिये का निर्माण भी कराया जाता था जो सरकारी ताजिये के नाम से देशभर में मशहूर था इसका निर्माण ख्वाजा बख्श कबूतर खाना के खानदान से जारी रहा। सरकारी ताजिये को उठाने के लिए 151 लोगों और होलकर सरकार के कर्मचारियों को नियुक्त किया जाता था। ताजियों को देखने इंदौर ही नहीं धार, देवास, उज्जैन, रतलाम, खरगोन, निमाड़ से भी लोग आते थे। मोहर्रम की 10वीं तारीख को हरा कुर्ता और लाल होलकरी पगड़ी में महाराजा स्वयं सुसज्जित हाथी पर सवार ताजिये के साथ करबला मैदान जाते थे। राजवाड़े के मुख्य द्वार पर वे ताजिये को सैली और पंचक चढ़ाते थे। ताजिये राजवाड़े से, आड़ा बाजार, पंढरीनाथ, मोती तबेले की रपट से होते हुए करबला मैदान पहुंचते थे। विसर्जन से पूर्व महाराजा ताजिये की परिक्रमा लगाते थे और गले की सैली, पंचक नदी में प्रवाहित कर देते थे।


    उस समय बारामत्था में इतना पानी होता था की हर साल 10-12 लोग तो डूब ही जाते थे इसके पूर्व मोहर्रम की चांद रात से 13वीं रात तक सभी अधिकारियों, कमांडर, इंस्पेक्टर जनरल पुलिस और जिला जज को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी जाती थीं। 7वीं तारीख अलम का जुलूस निकलता था। अलम के साथ 25 उम्दा घुड़सवार चांदी की जरी से चमचमाती लाल-सफेद तिकोनी होलकरी ध्वजा फहराते चलते थे। शबे बरात को राजवाड़े में फकीरी मांगने वाले फकीरों को 5 बांस, लोभान, अगरबत्ती, हार-फूल, पताशे और चिराग जलाने के लिए सोने का सिक्का दिया जाता था। 7वीं तारीख को होलकर महाराजा भी सोने-चांदी के आभूषणों से सजे हाथी पर इमामबाड़े पर आते थे और कत्ल की रात को 3 बार बिगुल बजने के साथ या हुसैन-या हुसैन के साथ ताजिये इमामबाड़े से राजवाड़ा चौक में आते थे तब पूरा मैदान जनता और सरकारी लवाजमा से भर जाता था। फौजी बैंड और अखाड़ों के पहलवानों के करतब के साथ ताजिये गोपाल मंदिर से सराफा, शक्कर बाजार, बोहरा बाजार, बर्तन बाजार और पीपली बाजार होते हुए फिर इमामबाड़ा पहुंचते थे।

    Share:

    गृह मंत्रालय ने हिंदी में दिया जवाब तो अदालत पहुंचे सांसद, हाईकोर्ट ने कहा- अंग्रेजी में ही दें उत्तर

    Fri Aug 20 , 2021
    चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट (Madras Highcourt) की मदुरै बेंच (Madurai Bench) ने केंद्र सरकार के अधिकारियों को राजभाषा अधिनियम, 1963 के प्रावधान का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि केंद्र को उसी भाषा में जवाब देना चाहिए जिसमें राज्य सरकार आवेदन भेजे. हाईकोर्ट ने कहा, ‘एक बार अंग्रेजी में […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved