वायनाड: केरल के वायनाड (Wayanad, Kerala) पर फिर से सबकी नजर है. इस बार इसकी वजह कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की बहन प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) वाड्रा हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को आगामी लोकसभा उपचुनाव (Lok Sabha by-elections) के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित पार्टी के शीर्ष नेता मौजूद थे. वैसे तो वायनाड को कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट माना जाता है, लेकिन प्रियंका जिन उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी, वे इस मुकाबले को दिलचस्प बनाएंगे.
दरअसल, लोकसभा उपचुनाव प्रियंका गांधी के चुनावी सफर की शुरुआत है. प्रियंका लंबे समय से चुनावी राजनीति से दूर रहीं और परिवार के सदस्यों और अन्य कांग्रेस सदस्यों के लिए प्रचार करती रहीं. 52 वर्षीय प्रियंका के चुनावी मैदान में उतरने को कांग्रेस पार्टी की रणनीतिक चाल के तौर पर देखा जा रहा है. राहुल गांधी के वायनाड छोड़ने के बाद खाली हुई सीट पर प्रियंका गांधी का मुकाबला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सत्यन मोकेरी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नव्या हरिदास से है. मोकेरी केरल के दिग्गज नेताओं में शुमार हैं तो वहीं तकनीकी विशेषज्ञ से राजनीतिज्ञ बनीं नव्या हरिदास पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार नव्या हरिदास पेशेवर और राजनीतिक अनुभव का मिश्रण लेकर मैदान में उतरी हैं. उन्हें “एक्सीडेंटल पॉलिटिशियन” कहा गया है. हरिदास राजनीति में आने से पहले सिंगापुर और नीदरलैंड में काम कर चुकी हैं. भारत वापस आने के बाद वह कोझिकोड निगम में दो बार पार्षद रहीं और वर्तमान में भाजपा के लिए महिला मोर्चा की राज्य महासचिव के रूप में काम करती हैं.
नव्या ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि जब वह 2015 में अपने बच्चों के साथ छुट्टियां मनाने कोझिकोड गईं तो कैसे आकस्मिक राजनीतिज्ञ बन गईं. उन्होंने कहा, “चुनाव का समय था, और भाजपा ने मेरे परिवार की संघ परिवार की पृष्ठभूमि को देखते हुए मुझे टिकट देने के लिए संपर्क किया. मुझे निगम में सामान्य सीट से मैदान में उतारा गया. रातों-रात मैं उम्मीदवार बन गई. मेरी योजना थी कि अगर मैं हार जाती तो सिंगापुर लौट जाती. लेकिन मैं कभी वापस नहीं लौटी और एक के बाद एक दो चुनाव जीत गई.”
नव्या हरिदास को पहले भी चुनावी अनुभव है. उन्होंने 2021 के विधानसभा चुनाव में कोझिकोड दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, जहां वह तीसरे स्थान पर रहीं, लेकिन भाजपा के वोट शेयर में उल्लेखनीय वृद्धि की. लोगों के प्रतिनिधित्व और स्थानीय शासन में पृष्ठभूमि रखने वाली नव्या ने अपनी प्रतिद्वंद्वी प्रियंका गांधी और गांधी परिवार की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने वायनाड भूस्खलन के दौरान पर्याप्त काम नहीं किया, जिसमें पहाड़ी जिले में 400 से अधिक लोग मारे गए थे. नव्या ने कहा, “वायनाड गांधी परिवार के लिए दूसरी सीट मात्र है.”
वायनाड में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी तीसरे बड़े नाम हैं. मोकेरी केरल की राजनीति में लंबे करियर वाले एक अनुभवी राजनेता हैं. अक्सर केरल विधानसभा के दहाड़ते शेर के रूप में जाने जाने वाले मोकेरी वाम मोर्चे की एक मजबूत आवाज रहे हैं. वे एक अनुभवी कम्युनिस्ट नेता हैं. स्वतंत्रता सेनानी पी केलप्पन नायर और कल्याणी मोकेरी के घर जन्मे, उन्होंने अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसएफ) इकाई के सचिव के रूप में सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया.
मोकेरी ने 1987 से 2001 तक नादापुरम निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में काम किया है और अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव और सीपीआई के राष्ट्रीय नियंत्रण आयोग के सदस्य सहित विभिन्न पदों पर भी रहे हैं. उन्हें कृषि मुद्दों पर उनकी वकालत और कृषि ऋण राहत आयोग सहित कई आयोगों में उनकी भागीदारी के लिए जाना जाता है. मोकेरी को प्रियंका गांधी को चुनौती देने की अपनी क्षमता पर पूरा भरोसा है, उन्होंने इंदिरा गांधी की हार सहित ऐतिहासिक चुनावी उथल-पुथल के साथ समानताएं बताई हैं.
तीन प्रमुख चेहरों के अलावा, जातीय जन सेना पार्टी के दुग्गीराला नागेश्वर राव, नवरंग कांग्रेस पार्टी के शेख जलील और निर्दलीय उम्मीदवार के पद्मराजन ने भी अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है और मैदान में शामिल हुए हैं. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में सीट जीतने वाले राहुल गांधी द्वारा उत्तर प्रदेश के रायबरेली में अपने निर्वाचन क्षेत्र को बनाए रखने के लिए इसे खाली करने का फैसला करने के बाद वायनाड में उपचुनाव आवश्यक हो गया था. चुनाव 13 नवंबर को होने वाला है, जबकि मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी. वायनाड उपचुनाव का नतीजा न केवल वायनाड के अगले सांसद का निर्धारण करेगा, बल्कि 2026 के केरल विधानसभा चुनावों के लिए भी महत्वपूर्ण होगा.
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