अयोध्या । श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय (Champat Rai general secretary of Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra) ने कहा कि तिरुपति मंदिर के प्रसादम में मिलावट की (Into adulteration in the Prasadam of Tirupati Temple) पुख्ता जांच होनी चाहिए (There should be thorough Investigation) । उन्होंने इसे पुराने समय का मुद्दा बताते हुए जांच की बात कही।
उन्होंने कहा, “मेरा प्रसाद से कोई संबंध नहीं है। मैं तो प्रसाद में इलायची का दाना देता हूं। मैं 1981 में तिरुपति गया था। सोशल मीडिया और मीडिया की कुछ खबरों की वजह से मैं पवित्र मंदिर पर टिप्पणी कर दूं, यह मेरे बस की बात नहीं है। यह खबर जिनसे जुड़ी हुई है, वह उत्तर देंगे। तिरुपति मंदिर और उसके लड्डू के बारे में जो विवाद है, उसमें यह समझने वाली बात है कि जिस समय की यह बात बताई गई है, उस समय प्रशासक कौन था, लड्डू बनाने का कॉन्ट्रैक्ट किसे दिया गया था। यह कहां से आया था, यह देखने वाली बात है। मैं इस पर टिप्पणी नहीं कर सकता। इस विषय पर जांच होनी चाहिए।”
बता दें कि तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के पहाड़ी शहर तिरुमला में स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि वे मानव जाति को परेशानियों से बचाने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। इसलिए इस स्थान को कलियुग वैकुंठ भी कहा जाता है। इस मंदिर को तिरुमला मंदिर, तिरुपति मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य नामों से भी पुकारा जाता है। इस मंदिर को तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा चलाया जाता है, जो आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।
तिरुपति का इतिहास भी सदियों पुराना है, लेकिन इसे लेकर भी इतिहासकारों में काफी मतभेद देखने को मिलता है। कहा जाता है कि चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं ने इस मंदिर के निर्माण में खास योगदान दिया था। इस मंदिर के प्रसाद का इतिहास भी 300 साल पुराना बताया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंदिर में प्रसाद बनाने की प्रथा साल 1715 के आसपास शुरू हुई थी, जिसे साल 2014 में जाई टैग भी दिया गया।
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