नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने जेल अधिकारियों से जेलों के अंदर ऐसी व्यवस्था करने को कहा है जिससे, ट्रांसजेंडर कैदियों की पहचान को ना सिर्फ मान्यता मिले, बल्कि उनके अधिकारों के साथ भेदभाव भी न हो। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2020 में देश भर की जेलों में 70 ट्रांसजेंडर कैदी थे।
सोमवार को जारी एक विस्तृत परामर्श में, गृह मंत्रालय ने जेल प्रमुखों और राज्य सरकारों को अलग-अलग वार्ड बनाने और कैदियों की गोपनीयता और गरिमा के अधिकार को बनाए रखने के लिए ट्रांसमेन और ट्रांसवुमन के लिए अलग शौचालय और शॉवर सुविधाएं निर्धारित करने के लिए कहा है। गृह मंत्रालय की एडवाइजरी में कहा गया है कि, “हालांकि, ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए एक अलग वार्ड का प्रावधान करने के दौरान जेल अधिकारियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इससे उनका अन्य कैदियों से पूरी तरह अलगाव न हो या ऐसे कैदियों के बीच सामाजिक कलंक न फैले।”
यह एडवाइजरी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के आलोक में जारी किया गया था, जो जनवरी 2020 से लागू हुआ है। इस कानून के अंतर्गत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की पहचान को मान्यता देने, उनके खिलाफ भेदभाव पर रोक और उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा सुविधाओं के साथ-साथ सरकार के अन्य कल्याणकारी उपायों में शामिल करने का प्रावधान है।
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