बर्लिन/मैड्रिड: भारतीय नौसेना (Indian Navy) इस समय एयर इंडिपेडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली की पनडुब्बी (submarine) हासिल करने के लिए तेजी से जोर लगा है। भारतीय नौसेना के इस सबसे बड़े पनडुब्बी अधिग्रहण कार्यक्रम को प्रोजेक्ट 75 या PI-75 नाम दिया गया है, जिसके लिए दो देशों जर्मनी (Germany) और स्पेन (Spain) के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है। इस महीने के अंत में होने वाले जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज (German Chancellor Olaf Scholz) और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज (Prime Minister Pedro Sanchez) के भारत दौरे को इसी नजरिए से देखा जा रहा है।
भारत में होंगे जर्मनी और स्पेन के नेता
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी के चांसलर स्कोल्ज सबसे पहले 25 अक्टूबर को एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ नई दिल्ली पहुंचेंगे, जिसमें जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस भी शामिल होंगे। द प्रिंट ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद स्कोल्ज अगले दिन रवाना होंगे। वहीं, स्पेन के प्रधानमंत्री 27 अक्टूबर को तीन दिवसीय यात्रा पर आएंगे।
दोनों देश भारतीय नौसेना के छह नई पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण की मेगा डील के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। जर्मन फर्म टीकेएमएस ने भारत के सरकारी शिपयार्ड मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के साथ समझौता किया है, जबकि स्पेनिश फर्म नवंतिया ने निजी फर्म एलएंडटी के साथ समझौता किया है।
स्पेन और जर्मनी दोनों चाहते हैं भारत से डील
भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने द प्रिंट को बताया कि स्कोल्ज की नई दिल्ली यात्रा के दौरान रक्षा और सैन्य रणनीति पर चर्चा होगी। दोनों देश भारत के साथ सहयोगी की मांग कर रहे हैं। ऐसा समझा जाता है कि स्पेन और जर्मनी दोनों ही पनडुब्बी परियोजना के लिए सरकार से सरकार के बीच सौदे पर विचार कर रहे हैं।
प्रोजेक्ट-75 में कहां तक पहुंची बात?
शुरुआत में टीकेएमएस ने भारतीय पनडुब्बी परियोजना के लिए बोली लगाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी, लेकिन जर्मन सरकार के इशारे पर फर्म ने नरम रुख अपनाया। टीकेएमएस और नवंतिया दोनों को भारतीय नौसेना के फैसले का इंतजार है। बताया गया है कि नौसेना ने एआईपी प्रणाली का क्षेत्र मूल्यांकन परीक्षण (FET) पूरा कर लिया है।
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