मणिपुर। मणिपुर राज्य में सेकमाई विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के 26 वर्षीय निंगथौजम पोपिलाल सिंह (Nigthoujam Popial Singh) भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पोपिलाल सिंह ऐसे उम्मीदवार हैं, जिन्होंने चुनाव आयोग के दिए गए अपने हलफनामे में अपनी संपत्ति शून्य बताई है। जी हां, सही पढ़ा आपने, जहां एक तरफ मणिपुर के पहले चरण में 173 उम्मीदवारों में से 91 करोड़पति थे। वहीं पोपिलाल सिंह के पास संपत्ति ही नहीं है। इतना ही नहीं राज्य में हो रहे विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में वो सबसे कम उम्र के भी उम्मीदवार हैं। दरअसल, मणिपुर राज्य में सेकमाई विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित केवल एक मात्र विधानसभा सीट है।
बता दे की पोपिलाल सिंह पहले कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने की कोशिश में थे, मगर उन्हें वहां निराशा हाथ लगी। फिर उन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया। सेकमई क्षेत्र अपने स्थानीय मादक पेय पदार्थ (Local Alcoholic Beverage) के लिए प्रसिद्ध है। जानकारी के मुताबिक, इस सीट पर कड़ा मुकाबला होने के उम्मीद है। पोपिलाल सिंह के अलावा सेकमई विधानसभा सीट (Sekmai Assembly seat) पर सात अन्य उम्मीदवार भी अपनी किस्मत आजमा रह हैं।
पोपिलाल सिंह ने ग्रेजुएशन की डिग्री (graduation degree) हासिल की है। उनका कहना है, ‘मैं बेरोजगार स्नातक हूं। मैं अपने गांव के छात्रों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी परिवार को पालता हूं। मेरे निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता पैसों के पीछे नहीं भागते हैं। आप उन्हें पैसे से नहीं जीत सकते।’ वे बताते हैं कि उन्हें क्षेत्र के लोग चुनाव अभियान में मदद कर रहे हैं। पोपिलाल सिंह घर-घर जाकर लोगों से वोट मांग रहे हैं।
इस क्षेत्र के निवासी एक शख्स का कहना है, ‘पोपिलाल सिंह एक युवा हैं, और वे अपने समुदाय के लिए काम करते आ रहे हैं। वे जो भी कुछ करते हैं, वह मुझे प्रेरित करता है। लिहाजा, मैं उनका समर्थन कर रहा हु। वह जीतते हैं या हारते हैं। यह अलग बात है, मगर निश्चित तौर से युवाओं को राजनीति में आने के लिए वे प्रेरित करने का काम कर रहे हैं। बहरहाल, इस चुनाव में सत्तारुढ़ भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है फिर से जीत हासिल करना। ऐसे में मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह पूरी कोशिश कर रहे हैं, एक बार फिर वो राज्य की सत्ता की बागडोर संभाले। इस चुनाव में यहां कांग्रेस सहित तकरीबन सभी राजनीतिक दल सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम को हटाने की मांग में लगे हुए है।
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