उज्जैन। सामान्य से लेकर गंभीर बीमारी तक का उपचार शुरू करने से पूर्व कोई भी चिकित्सक सबसे पहले मरीज का ब्लड प्रेशर जाँचता है। उसके बाद उपचार किया जाता है। हैरत की बात है कि संभाग के सबसे बड़े सरकारी जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड तक में रक्तचाप मापी यंत्र नहीं है। अन्य वार्डों में भी बगैर इस यंत्र के डॉक्टर मरीजों का उपचार कर रहे हैं। इसके पीछे बजट नहीं होने की बात कही जा रही है। पिछले सप्ताह तीन दिन के लिए जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का भौतिक सत्यापन करने के लिए क्वालिटी कंट्रोल इंश्योरेंस की राष्ट्रीय स्तर की तीन टीमें आई थी। भौतिक सत्यापन से पहले जिला अस्पताल सहित चरक अस्पताल का रंगरोगन किया गया था। परिसरों में लगातार सफाई कराई जा रही थी। इतना ही नहीं जाँच दल के आने के एक दिन पहले रातों-रात चरक और जिला अस्पताल में लगे टूटे-फुटे पलंग और गद्दे तक इधर उधर से इंतजाम कर दूसरे रखवा दिए गए थे।
इसी तरह जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से लेकर आईसीयू और जनरल वार्डों में भी मरीजों के ब्लड प्रेशर को जाँचने के लिए परंपरागत रक्तचाप मापी यंत्र (स्फिग्मोमैनोमीटर) की व्यवस्था की गई थी। जब तक क्वालिटी कंट्रोल इंश्योरेंस की राष्ट्रीय स्तर की तीन टीमें यहाँ लगातार तीन दिन व्यवस्थाओं की जाँच पड़ताल कर रही थी तब तक यह रक्तचाप मापी यंत्र हर वार्ड में इंतजाम कर रखवा दिए गए थे, लेकिन जैसे ही जाँच दल यहाँ से रवाना हुआ तो अगले दिन जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड से लेकर आईसीयू और जनरल वार्डों में लाए गए यह रक्तचाप मापी यंत्र (स्फिग्मोमैनोमीटर) हटा दिए गए। एक बार फिर जिला अस्पताल के सामान्स से लेकर गंभीर मरीज तक का उपचार इस यंत्र के बगैर बीपी जाँचे किया जा रहा है। इस बारे में जवाबदार चिकित्सकों का कहना है कि रक्तचाप मापी यंत्र नए खरीदने का अस्पताल के पास बजट नहीं है।
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