नई दिल्ली: देश में रोजगार की स्थिति लगातार सुधरती जा रही है. एक तरफ भारत दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन रहा तो दूसरी ओर रोजगार की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. रिजर्व बैंक ने हाल में आंकडे़ जारी कर बताया कि देश में अब हर दूसरे आदमी के पास रोजगार है और इसमें लगातार सुधार होता जा रहा है. आरबीआई के आंकड़ों को देखें तो अब देश में रोजगार करने वालों की संख्या 64 करोड़ के स्तर को पार कर गई है.
देश में कुल जनसंख्या की बात करें तो यह करीब 142.8 करोड़ है, जो दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश बनने की कगार पर है. यह दुनिया की कुल जनसंख्या का 17.8 फीसदी है. इतना ही नहीं दुनिया के 19 फीसदी बच्चे सिर्फ भारत में हैं. रोजगार या श्रम के लिए 17 साल से कम उम्र के बच्चों से काम कराना अपराध माना जाता है. ऐसे बच्चों की संख्या कुल पॉपुलेशन की 18.6 फीसदी है, जो करीब 26.41 करोड़ होगी. इस संख्या को हटा दिया जाए तो देश में रोजगार करने लायक जनसंख्या करीब 116 करोड़ होगी. इसमें से 64 करोड़ लोगों के पास रोजगार है. इसका मतलब है कि हर दूसरे आदमी के पास रोजगार मौजूद है.
हाल में सरकार की आरे से जारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्तवर्ष 2023-24 में देश में रोजगार की वृद्धि दर 6 फीसदी के आसपास रही है. इस दौरान 4.67 करोड़ जॉब पैदा हुई और अभी देश में कुल 64.3 करोड़ लोग रोजगार करते हैं. यह आंकड़ा पिछले वित्तवर्ष के मुकाबले 3.2 फीसदी ज्यादा है. साल 2024 की पहली तिमाही में रोजगार की दर बढ़कर 46.90 फीसदी पहुंच गई, जो इससे पहले की तिमाही में 46.60 फीसदी थी.
मोदी सरकार ने जुलाई में पेश बजट 2024-25 के लिए अगले 5 साल में 4.1 करोड़ रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए केंद्र सरकार अपनी ओर से 2 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी. रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार ने 5 योजनाएं शुरू की हैं, जो खासतौर से युवाओं का स्किल बढ़ाने और उन्हें रोजगार दिलाने के लिए काम करेगी.
रिजर्व बैंक ने हाल में जारी KLEMS डाटा में बताया कि देश में वित्तवर्ष 2014-15 में जहां कुल रेजगार वालों की संख्या 47.5 थी, वहीं 2023-24 तक बढ़कर 64.33 करोड़ पहुंच गई. इस तरह 9 वित्तवर्ष में रोजगार की संख्या 17.19 करोड़ बढ़ी है. अगर 2012 से 2024 तक के आंकड़े देखें तो हर साल रोजगार की औसत दर 44.62 फीसदी रही. 2012 की पहली तिमाही में यह 50.80 फीसदी थी, जो उच्चतम स्तर था और 2020 की दूसरी तिमाही में 36.40 थी, जो निम्नतम स्तर रहा. हालांकि, इस दौरान कोरोना महामारी का लॉकडाउन चल रहा था.
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