उज्जैन। पिछले दो साल से जिला अस्पताल में उपचार के लिए आ रहे मरीजों को टिटनेस का इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहा। मरीज इसे बाहर से खरीदकर लगवा रहे हैं। मानसिक रोगियों को दी जाने वाली लगभग 32 तरह की दवाओं में से आधी दवाएँ भी नहीं मिल रही। जिला अस्पताल के दवा वितरण केन्द्र से मरीजों को शासन द्वारा नि:शुल्क दवाएँ दी जाती है। हर साल लाखों रुपए की दवाएँ जिला अस्पताल में स्टोर विभाग की माँग पर शासन भेजता है। अस्पताल प्रबंधन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कोरोना के मामले जिले से खत्म होने के बाद जिला अस्पताल में अन्य बीमारियों के मरीजों की तादाद लगातार बढ़ रही है। ओपीडी में भी रोजाना निर्धारित समय में 300 से 400 लोग उपचार कराने आ रहे हैं। जिला अस्पताल की मानसिक रोग ओपीडी में भी इस बीमारी से पीडि़त लगभग 40 से 50 मरीज रोज उपचार के लिए आ रहे हैं।
मानसिक रोगियों को उपचार में जिला अस्पताल से 32 तरह की दवाएँ नि:शुल्क दी जाती थी परंतु पिछले 6 महीने से यहाँ मानसिक रोगियों को आधी ही दवाएँ नि:शुल्क काउंटर से मिल पा रही हैं, बाकी की दवाएँ उन्हें बाजार से महंगी खरीदनी पड़ रही है। यही हाल टिटनेस का इंजेक्शन लगवाने आ रहे बाह्य रोगियों का है। ओपीडी में डॉक्टर द्वारा मरीज को टिटनेस के इंजेक्शन लिखकर दिए जा रहे हैं लेकिन दवा काउंटर पर पिछले दो साल से यह इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है ऐसे में मरीजों को बाजार से 10 रुपए में यह इंजेक्शन खरीदकर लगवान पड़ रहा है। कुल मिलाकर जिला अस्पताल में टिटनेस का इंजेक्शन भी मरीजों को दो साल से उपलब्ध नहीं कराया जा रहा।
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