भोपाल। इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) ने मध्य प्रदेश के लिए बिजली की खरीद और बिक्री पर गुरुवार आधी रात से प्रतिबंध लगा दिया है। मप्र समेत 13 राज्यों में ये प्रतिबंध लागू है। फिलहाल इस आदेश से प्रदेश में बिजली के संकट जैसे हालात नहीं हैं। मप्र में ही जरूरत से ज्यादा बिजली का उत्पादन हो रहा है। ये जरूर है कि प्रतिबंध की वजह से मप्र जो पावर एक्सचेंज के जरिए औसत 1400-1600 मेगावाट बिजली बेच रहा था। अब ऐसा फिलहाल नहीं हो सकेगा। इधर, ऊर्जा सचिव संजय दुबे का दावा है कि सोमवार को आईईएक्स का प्रतिबंध हट जाएगा। बता दें कि बिजली संयंत्रों पर बकाया होने की वजह से आईईएक्स की तरफ से यह कदम उठाया गया है। मप्र को करीब 233 करोड़ रुपये का भुगतान संयंत्रों को करना है। विभाग ने इस राशि के भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संजय दुबे ने कहा कि अभी बिजली को लेकर प्रदेश में कोई समस्या नहीं है। पर्याप्त बिजली है। प्रतिबंध भी सोमवार तक हटने की संभावना है। उन्होंने कहा कि हम बकाया भुगतान को लेकर गंभीर हैं।
चार राज्यों को बेच रहे थे बिजली
मप्र में मानसून की वजह से बिजली की मांग कम थी। इसलिए यहां से बिजली एक्सचेंज के जरिए प्रतिदिन बेची जा रही थी। फिलहाल उत्तर प्रदेश, पंजाब, प. बंगाल, तेलंगाना जैसे राज्यों को औसत प्रतिदिन 1500 मेगावाट के आसपास बिजली बेची जा रही थी। रविवार को प्रदेश में बिजली की मांग 9200 मेगावाट के आसपास चल रही है। जरूरत की बिजली मप्र में ही पैदा हो रही है। इसके लिए मप्र से 3590 मेगावाट बिजली मिल रही थी। शेष जरूरत की बिजली सेंट्रल सेक्टर से ली जा रही थी।
लंबे वक्त के करार से फायदा
मप्र के अंदर लंबी अवधि के बिजली खरीदी करार हुए हैं। इस वजह से प्रदेश को बिजली की किल्लत से नहीं जूझना पड़ेगा। आईईएक्स के प्रतिबंध से सिर्फ मप्र की बंैकिंग प्रभावित हुई है। इन दिनों मप्र जरूरत से ज्यादा पैदा बिजली को अन्य राज्यों को देता है ताकि रबी सीजन के वक्त वह उस बिजली को वापस उपयोग कर पाए।
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