नई दिल्ली। भारत (India) के अन्य पड़ोसी देश (neighboring countries) भी बदहाली की राह पर हैं। पाकिस्तान (Pakistan) हो या नेपाल (Nepal), खराब आर्थिक स्थितियों (Poor economic conditions) से गुजर रहे हैं। इस कारण इन देशों के लोगों में भी गुस्से का उबाल देखने को मिल रहा है। कई मौकों पर लोग बढ़ती महंगाई के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं। वहीं, अफगानिस्तान (Afghanistan) और म्यांमार (Myanmar) के हालात भी किसी से छिपे नहीं हैं। अफगानिस्तान में तालिबान के राज में स्थितियां खराब हुई हैं, वहीं म्यांमार में सत्ता पर बैठी सेना से लोगों का भरोसा उठा।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी गर्त में जा रही है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 980 करोड़ डॉलर का बचा है। इसमें लगातार कमी आ रही है। पाकिस्तान की वित्तीय मामलों की जांच एजेंसी एफबीआर के पूर्व अध्यक्ष सैयद शब्बर जैदी ने हाल ही में कहा था कि देश की हालत श्रीलंका से अलग नहीं है।
44 लाख करोड़ का कर्ज
पाकिस्तान पर मार्च, 2022 तक 44 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ है। 18 लाख करोड़ रुपये का कर्ज पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ने अकेले अपने कार्यकाल के दौरान लिया। चीन पाकिस्तान को जून, 2022 तक 30 खरब पाकिस्तानी रुपये कर्ज दे चुका है।
– महंगाई दर 14 फीसदी तक पहुंची
– पेट्रोल-डीजल के दाम 244-264 पाकिस्तानी रुपये
– खाद्य वस्तुओं के दाम में 74 फीसदी की वृद्धि
नेपाल की अर्थव्यवस्था भी चरमरा रही है। खतरे की घंटी तब बजी जब मई 2022 के मध्य में नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार 21.1 फीसदी घटकर 9.28 अरब डॉलर हो गया। सात महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 200 करोड़ डॉलर कम हो गए।
चीन पर भरोसा पड़ा भारी
कोरोना महामारी के बाद नेपाल के पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों पर काफी असर पड़ा है। खासकर चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते बदले हैं। चीन का सामान नेपाल में तो तेजी से बिक रहा है लेकिन नेपाल अपना सामान चीन में उतनी तेजी से नहीं बेच पा रहा है।
– महंगाई दर 8.56 फीसदी पहुंची
– पेट्रोल-डीजल के दाम करीब 200 नेपाली रुपये
अफगानिस्तान
अफगानिस्तान वर्षों से युद्ध की मार झेल रहा है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार की सात अरब डॉलर की राशि अमेरिका ने फ्रीज कर दी है। पिछले साल अमेरिकी सेना के स्वदेश लौटने के बाद से हालत ज्यादा खराब हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में ढाई करोड़ लोगों पर भुखमरी का खतरा मंडरा रहा है।
म्यांमार
म्यांमार में सेना ने चुनावों में धांधली का हवाला देते हुए पिछले साल फरवरी में सत्ता पर कब्जा कर लिया था। तख्तापलट ने सेना की तानाशाही के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को हवा दी। इस बीच, कोरोना महामारी की वजह से भी खाद्य असुरक्षा, संसाधनों की बर्बादी और नगदी की कमी जैसी दिक्कतों ने स्थितियों को और जटिल बना दिया।
● पेट्रोल-डीजल के दाम करीब 30 फीसदी तक बढ़े
● खाद्य वस्तुओं की कीमतें एक साल में 50 फीसदी बढ़ी
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